ब्रह्मा का काल बहुत ही विस्तृत था। यदि हम अध्ययन करें तो इस काल में धरती पर मानव प्रजातियों की उत्पत्ति और विकास की शुरुआत हो रही थी। यह वही काल था जबकि धरती पर मानव उत्पत्ति, विकास और भविष्य का कथाक्रम लिखा जा रहा था।
ब्रह्मा के एक पुत्र रुचि की पुत्री से ही विष्णु ने और दूसरे पुत्र दक्ष की पुत्री से शिव ने विवाह किया था। इसलिए यह कहा जा सकता है कि ब्रह्मा तो विष्णु और महेष से भी पहले हुए थे। त्रिदेवों के क्रम में सबसे पहले ब्रह्मा को ही रखा जाता है, लेकिन विष्णु और शैवकाल के दौरान ब्रह्मा को हाशिए पर धकेल दिया गया और इस तरह हिन्दू धर्म के प्रारंभिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कट गया।
ब्रह्मा के दस पुत्रों की कहानी और उनके वंश का वर्णन कम ही होता है जबकि धरती पर आज जितने भी मानव जाति के लोग हैं वे सभी ब्रह्मा की संतानें है- विष्णु या शिव की नहीं। निश्चत ही विष्णु और शिव हमारे लिए ब्रह्मा से बढ़कर भगवान हैं लेकिन ब्रह्मा का स्थान हिन्दू धर्म में गौण नहीं होना चाहिए। इसके गौण होने के कारण ही हिन्दू धर्म अपने इतिहास से कट गया।
ब्रह्मा और ब्रह्मा के पुत्र की कहानी मनुष्य जाति का इतिहास है। उनके इस इतिहास का वर्णन खोज करने पर दुनिया के हर धर्मग्रंथों में मिल जाएगा।
* ब्रह्मा के कई पुत्र थे, लेकिन उनमें प्रमुख थे- 1. मरीचि, 2. अत्रि, 3. अंगिरस, 4. पुलस्त्य, 5. पुलह, 6. कृतु, 7. भृगु, 8. वशिष्ठ, 9. दक्ष, 10. कर्दम, 11. नारद, 12. सनक, 13. सनन्दन, 14. सनातन, 15. सनतकुमार, 16. स्वायम्भुव मनु और शतरुपा, 17. चित्रगुप्त, 18. रुचि, 19. प्रचेता 20. अंगिरा आदि। संपूर्ण धरती के मनुष्य आदि इन्हीं की संतानें हैं।
* ब्रह्मा की प्रमुख पुत्रियां : 1. सावित्री, 2. गायत्री, 3. श्रद्धा, 4. मेधा और 5. सरस्वती हैं।
* 10 प्रजापति : इनमें से मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, कृतु, भृगु, वशिष्ठ, दक्ष तथा कर्दम- ये 10 मुख्य प्रजापति बनें।
हम ब्रह्मा के प्रत्येक पुत्रों की वंश परंपरा का वर्णन करेंगे। इस वंश परंपरा में कौन-कौन से महापुरुष हुए और किस पुत्र से कौन सा वंश चला यह भी बताएंगे। पढ़ते रहिए वेबदुनिया।