8. सुधार आंदोलन :भारत में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए 1876 में हरिद्वार के कुंभ मेले के अवसर पर पाखण्डखंडिनी पताका फहराकर पोंगा-पंथियों को चुनौती दी थी। आर्य समाज एक हिन्दू सुधार आंदोलन है। इस समाज का उद्देश्य वैदिक धर्म को पुन: स्थापित कर संपूर्ण हिन्दू समाज को एकसूत्र में बांधना है। जातिप्रथा, छुआछूत, अंधभक्ति, मूर्तिपूजा, बहुदेववाद, अवतारवाद, पशुबलि, श्राद्ध, जंत्र, तंत्र-मंत्र, झूठे कर्मकाण्ड आदि के सख्त खिलाफ है आर्य समाज। आर्य समाज के लोग पुराणों की धारणा को नहीं मानते हैं और एकेश्वरवाद में विश्वास करते हैं।