देवता, असुर और मानव के लिए अलग-अलग हैं शिवलिंग, जानिए अद्भुत जानकारी

देवता और दैत्य अर्थात सुर और असुर दोनों के ही आराध्य देव भगवान शिव हैं। भगवान शिव को परमब्रह्म के तुल्य माना जाता है। उनके निराकार रूप की पूजा होती है। शिवलिंग उन्हीं के निराकार रूप का प्रतीक है।
 
शिवपुराण अनुसार भगवान विष्णु ने पूरे जगत के सुख और कामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान विश्वकर्मा को अलग-अलग तरह के शिवलिंग बनाकर देवताओं को देने की आज्ञा दी। विश्वकर्मा ने अलग-अलग पदार्थो, धातु व रत्नों से शिवलिंग बनए। आओ जानते हैं उन्हीं के बारे में।
 
 
1.यक्ष- दही
2.योगी- भस्म
3.नाग- मूंगा
4.देवी- मक्खन
4.इन्द्र- पद्मराग
5.धर्म- पुखराज
6.विश्वेदेव- चांदी
7.वसुगण- पीतल
8.सोम- मोती
9.अग्रिदेव- हीरे
10.ब्राह्मण- मिट्टी
11.विष्णु- इन्द्रनील
12.ब्रह्मपत्नी- रत्न
13.लक्ष्मी- स्फटिक
14.मयासुर- चन्दन
15.मणि कुबेर- सोना
16.आदित्यगण- तांबे
17.ब्रह्मा- चमकीला सोने
18.वरुण- श्याम या काले रंग
19.बाणासुर- पारद या पार्थिव
20.अश्विनी कुमार- पार्थिव लिंग
 
 
अब इन्हें विस्तार से जानिए...
1.पारद शिवलिंग:- पारद शिवलिंग अक्सर घर, ऑफिस, दूकान आदि जगहों रखा जाता है। इस शिवलिंग की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुखशांति और सौभाग्य प्राप्त होता हैं। 
 
2.मिश्री शिवलिंग:- यह शिवलिंग चीनी या मिश्री से बना होता हैं। कहते हैं कि इस की पूजा करने से रोगों का नाश होकर पीड़ा से मुक्ति मिलती हैं।
 
3.जौं और चावल से बने शिवलिंग:- पारिवारिक समृद्धि के लिए इसका पूजना होता हैं। जो दम्पति संतानसुख से वंचित हैं उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती हैं।
 
 
4.भस्म शिवलिंग:- यज्ञ की भस्म से बनाए गए इस शिवलिंग से सिद्धियों की होती है। इसकी पूजा अक्सर अघोरी सम्प्रदाय के लोग करते हैं।
 
5.गुड़ शिवलिंग:- गुड़ और अन्न से मिल कर बने इस शिवलिंग की पूजा करने से कृषि और अन्न उत्पादन में वृद्धि होती हैं।
 
6.फल-फूल के शिवलिंग:- फूल से बने शिवलिंग की पूजा करने से भूमि-भवन से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलता हैं। वहीं, फल से बने शिवलिंग की पूजा करने से घर में अन्न-जल आदि में बरकत बनी रहती।
 
 
7.स्वर्ण-रजत से बने शिवलिंग:- सोने और चांदी के धातु से बने शिवलिंग से सुख-समृद्धि तथा धन वैभव की प्राप्ति होती हैं।
 
8.बिबर मिटटी के शिवलिंग:- बिबर की मिटटी से बने शिवलिंग की पूजा करने से विषैले प्राणी जैसे सर्प-बिच्छू आदि के भय से मुक्ति मिलती हैं।
 
9.दही से बने शिवलिंग:- दही को कपड़े में बांध कर बनाया गया शिवलिंग सुख, समृद्धि और धन संपत्ति की प्राप्ति के लिए होता हैं।
 
 
10.लहसुनिया शिवलिंग:- लहसुनिया से बने शिवलिंग की पूजा से हमें हमारे शत्रु पर विजय प्राप्ति की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
 
इसके अलावा शिवलिंग के प्रकार भी बताए गए हैं। शिवलिंग के प्रमुख दो प्रकार अंडाकार और पारद शिवलिंग के अलावा शिवलिंग के मुख्‍यत: 6 प्रकार बताए गए हैं।
 
 
1.देव लिंग:- जिस शिवलिंग को देवताओं या अन्य प्राणियों द्वारा स्थापित किया गया हो, उसे देवलिंग कहते हैं। वर्तमान समय में धरती पर मूल पारंपरिक रूप से यह देवताओं के लिए पूजित है।
 
2.असुर लिंग:- असुरों द्वारा जिसकी पूजा की जाए वह असुर लिंग। रावण ने एक शिवलिंग स्थापित किया था, जो असुर लिंग था। देवताओं से द्वैष रखने वाले रावण की तरह शिव के असुर या दैत्य परम भक्त रहे हैं। 
 
3.अर्श लिंग:- प्राचीन काल में अगस्त्य मुनि जैसे संतों द्वारा स्थापित इस तरह के लिंग की पूजा की जाती थी।
 
4.पुराण लिंग:- पौराणिक काल के व्यक्तियों द्वारा स्थापित शिवलिंग को पुराण शिवलिंग कहा गया है। इस लिंग की पूजा पुराणिकों द्वारा की जाती है।
 
5.मनुष्य लिंग:- प्राचीनकाल या मध्यकाल में ऐतिहासिक महापुरुषों, अमीरों, राजा-महाराजाओं द्वारा स्थापित किए गए लिंग को मनुष्य शिवलिंग कहा गया है।
 
 
6.स्वयंभू लिंग:- भगवान शिव किसी कारणवश स्वयं शिवलिंग के रूप में प्रकट होते हैं। इस तरह के शिवलिंग को स्वयंभू शिवलिंग कहते हैं। भारत में स्वयंभू शिवलिंग कई जगहों पर हैं। वरदान स्वरूप जहां शिव स्वयं प्रकट हुए थे।
 
 

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