इन्दौर। हाल ही में इंदौर ‘जनपद संस्कृत सम्मेलन’ का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार करना एवं इसे जन-जन से जोड़ना था। इसके अन्तर्गत सबसे पहले एक शोभायात्रा निकाली गई, जो चिमनबाग फुटबॉल मैदान से नगर निगम एमजी रोड थाना, कृष्णपुरा छत्री, राजवाड़ा, इमली बाजार, तिलकपथ, रामबाग चैराहा होते हुए पुनः चिमनबाग पर संपन्न हुई।
यात्रा में छोटे बच्चे विवेकानन्द, शिवाजी, महारानी लक्ष्मीबाई की वेशभूषा में चल रहे थे। 'जयतु संस्कृतम-वदतु संस्कृतम् जयतु भारत, वन्दे संस्कृत मातरम्’ जैसे गगनभेदी नारों से यात्रा शोभायमान हो रही थी।
इसके बाद सम्मेलन का विधिवत् शुभारम्भ वेद मंत्रोच्चार एवं शंखघोष के साथ हुआ। मुख्य अतिथि संस्कृत भारती के राष्ट्रीय महामंत्री नन्दकुमार थे। विशेष अतिथि वरिष्ठ विचारक लक्ष्मणराव नवाथे, समाजसेविका सुश्री अनघा ताई एवं संस्कृतविद् डॉ. विनायक पाण्डेय थे।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि नन्दकुमार ने अपना सम्बोधन संस्कृत में देते हुए कहा कि भारत का गौरव उसकी संस्कृति और सभ्यता है और संस्कृति का मूल आधार संस्कृत है। यह भाषा वैज्ञानिक भाषा है। अन्य भाषाओं की जननी है। संस्कृत भाषा में सभी प्रकार के ज्ञान का भंडार है। संस्कृत भाषा की पठनीय व्याकरण सर्वमान्य है। वह संस्कृत भाषा ही नहीं, अपितु अन्य भाषा के लिए भी उपयोगी है।
विदेशों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अब तो कई देशों में संस्कृत की उपयोगिता व महत्व को जानकार अपनी प्राथमिक कक्षाओं में संस्कृत को पाठ्यक्रम में प्रारंभ कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह गणित ज्यामिति, चिकित्सा, आयुर्वेद, पर्यावरण, संस्कार, प्रबंधन सहित ज्ञान विज्ञान से ओतप्रोत है। राष्ट्रीय एकता व संस्कृति के दिव्य दर्शन कराने वाली भाषा मानव समाज को जोड़ने का कार्य करती है।