पुरुषत्व या लिंग को लेकर लोगों के बीच काफी गलत धारणाएं हैं। इसके चलते लोग कई बार गलत डॉक्टरों के चक्कर में उलझ जाते हैं और अपना पैसा और स्वास्थ्य दोनों ही खराब करते हैं। सेक्स से जुड़े अंधविश्वास कई बार पारिवारिक जीवन में भी कलह उत्पन्न कर देते हैं। आइए जानते हैं वे 15 बातें, जो आपकी सेक्स लाइफ में काफी काम की साबित होंगी।
बड़े लिंग का पुरुषत्व से संबंध : यह धारणा पूरी तरह गलत है कि लिंग की अधिक लंबाई वाले पुरुष, छोटे लिंग वाले पुरुष की तुलना में अधिक पुरुषत्व के स्वामी होते हैं। दरअसल, स्त्री की योनि की औसत गहराई लगभग 6 इंच होती है, लेकिन योनि के शुरुआती 2 इंच के हिस्से में ही उत्तेजना या संवेदना होती है। शेष 4 इंच का हिस्सा लगभग उत्तेजनाहीन होता है।
स्त्री को अगर संभोग के दौरान दर्द अथवा आनंद का अनुभव होता है तो सिर्फ शुरुआत के 2 इंच हिस्से में। उसके बाद के 4 इंच में कोई अनुभूति नहीं होती। अत: उत्तेजित होने के पश्चात पुरुष के लिंग की लंबाई 2 इंच अथवा उससे ज्यादा कुछ भी हो, कोई फर्क नहीं पड़ता है।
क्या लिंग की मोटाई का स्त्री की संतुष्टि से कोई संबंध है... पढ़ें अगले पेज पर...
लिंग की मोटाई : लिंग की मोटाई का स्त्री की यौन संतुष्टि पर कोई असर नहीं पड़ता है, क्योंकि योनि एक इलास्टिक अंग है। योनि में एक अंगुली भी प्रविष्ट हो सकती है और बच्चा भी योनि-मार्ग से ही बाहर आता है।
कहने का आशय यह है कि योनि में जैसी वस्तु प्रविष्ट होती है, योनि आसानी से उतनी फैल जाती है। यही कारण है कि लिंग की मोटाई का स्त्री की यौन संतुष्टि से कोई रिश्ता नहीं है।
लिंग की लंबाई : एक धारणा यह भी है कि लिंग की अधिक लंबाई स्त्री की यौन संतुष्टि के लिए अति-महत्वपूर्ण है, क्योंकि अधिक लंबाई वाला लिंग स्त्री के गर्भाशय के मुंह को आसानी से स्पर्श कर सकता है। हकीकत में स्त्री की यौन संतुष्टि के लिए लिंग का गर्भाशय के मुख को स्पर्श करना बिलकुल जरूरी नहीं है। इससे स्त्री की यौन संतुष्टि पर कोई असर नहीं होता है।
क्या छोटे लिंग से गर्भधारण में कठिनाई आती है... पढ़ें अगले पेज पर....
छोटा लिंग : लिंग छोटा होने पर भी गर्भधारण में कोई कठिनाई अथवा परेशानी नहीं आती है, क्योंकि लिंग गर्भाशय के मुख अथवा गर्भाशय में प्रवेश नहीं करता। लिंग योनि में प्रवेश होने के उपरांत योनि मार्ग में ही रहता है।
यहां यह समझने की जरूरत है कि पुरुष के शरीर से वीर्य बाहर निकलने के पश्चात लगभग 15 से 25 मिनट में पानी जैसा पतला होकर फैलने लगता है। वीर्य फैलकर योनि मार्ग से गर्भाशय में प्रवेश करता है। इसी पतले वीर्य में शुक्राणु तैरकर योनि मार्ग से गर्भाशय के अंदर पहुंचते हैं अत: लिंग के आकार से गर्भधारण का कोई संबंध नहीं है।
क्या हस्तमैथुन से लिंग का विकास रुक जाता है... पढ़ें अगले पन्ने पर....
हस्तमैथुन : हस्तमैथुन व संभोग समान प्रक्रिया है। संभोग से लिंग पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है, उसी तरह हस्तमैथुन से लिंग के विकास पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।
शिथिलता : शिथिल (सामान्य) अवस्था में लिंग की लंबाई कुछ भी हो, उससे संभोग के आनंद पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। संभोग के समय लिंग हमेशा उत्तेजित अवस्था में ही कार्य करता है। शिथिल अवस्था में लिंग केवल मूत्र त्याग करता है। स्पष्ट है कि लिंग की लंबाई उत्तेजित अवस्था में ही महत्वपूर्ण है, शिथिल अवस्था में नहीं।
क्या लिंग में टेढ़ापन सेक्स में बाधक होता है... पढ़ें अगले पेज पर...
लिंग में टेढ़ापन : लोगों के बीच इस तरह की भी धारणाएं होती हैं कि लिंग के टेढ़ेपन के कारण संभोग में बहुत कठिनाई आती है अथवा योनि में लिंग प्रवेश ही नहीं करवाया जा सकता है। मगर सामान्यत: लिंग का ऊपर, नीचे, दाएं अथवा बाएं थोड़ा-बहुत टेढ़ापन लगभग प्रत्येक पुरुष में होता है।
लिंग में कोई भी हड्डी अथवा मांसपेशी नहीं होती अत: उत्तेजित होने पर कठोरता आने के बावजूद लिंग में लचीलापन बना रहता है। लिंग को टेढ़ेपन के कारण योनि में प्रवेश कराने में बिलकुल भी परेशानी नहीं होती।
बीमारियों से टेढ़ापन : वैसे तो सामान्य टेढ़ापन प्रत्येक पुरुष के लिंग में होता है, लेकिन कुछ बीमारियां जैसे पेरोनिस डिसीज अथवा कॉरडी इत्यादि में पुरुष लिंग में टेढ़ापन आ जाता है।
पेरोनिस डिसीज में लिंग में कार्टिलेज बनने लगते हैं। यह कार्टिलेज जिस जगह लिंग में बनते हैं, उस जगह से लिंग टेढ़ा होने लगता है। ऐसी अवस्था में उत्तेजित होने के उपरांत योनि में प्रवेश कराने के प्रयास में लिंग में अत्यधिक दर्द होने लगता है।
इससे लिंग को योनि में प्रवेश कराने में कठिनाई आ सकती है तथा लिंग की उत्तेजना में भी कमी आ सकती है। उपरोक्त बीमारियों को छोड़कर लिंग में पाए जाने वाले टेढ़ेपन से सहवास में कोई कठिनाई नहीं होती है।
अधिक संभोग का लिंग पर क्या असर होता है... पढ़ें अगले पेज पर....
अधिक संभोग : सर्वप्रथम तो यह कि लिंग में मांसपेशियां नहीं होतीं, अत: लिंग में कमजोरी नहीं आ सकती है। संभोग कितनी भी बार किया जाए, उससे लिंग में कोई कमजोरी नहीं आती।
उत्तेजना : सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि मानव शरीर में मुख्यत: दो प्रकार की कार्यप्रणालियां कार्य करती हैं। एक- ऐच्छिक तथा दूसरी- अनैच्छिक कंट्रोल। पहली प्रणाली के अंतर्गत कार्य करने वाले अंग हैं- हाथ, पैर, मुख इत्यादि। इनका इच्छानुसार संचालन किया जा सकता है।
अनैच्छिक कंट्रोल की कार्यप्रणाली के अंतर्गत कार्य करने वाली क्रियाएं हैं- हृदय का धड़कना, कोई भी वस्तु अचानक निकट आने पर पलकों का बंद होना इत्यादि। इन्हें अपनी इच्छा से संचालित नहीं किया जा सकता है। इसके अंतर्गत कार्य करने वाली क्रियाएं स्वयं कार्य करती हैं। इसी तरह पुरुष लिंग का उत्तेजित होना अनैच्छिक प्रणाली से संचालित है।
यही कारण है कि कोई भी पुरुष स्वयं की इच्छा से कभी भी लिंग उत्तेजित नहीं कर सकता है। अनुकूल परिस्थितियों में ही लिंग में उत्तेजना अपने आप आ जाती है।
स्खलन के बाद उत्तेजना कब... पढ़ें अगले पेज पर...
लिंग में लचीलापन : क्या उत्तेजित लिंग बगैर हाथ लगाए ही योनि में प्रवेश कराना चाहिए? दरअसल, लिंग के अंदर कोई भी हड्डी अथवा मांसपेशी नहीं होती है, सिर्फ लचीले ऊतक होते हैं, जो रक्त के प्रवाह से फैलकर लिंग के आकार (लंबाई और मोटाई) को बढ़ाते हैं।
अत: लिंग में उत्तेजना आने के बावजूद थोड़ा-बहुत लचीलापन बना रहता है। इस लचीलेपन के कारण लिंग योनि में प्रवेश होते वक्त दाएं-बाएं अथवा ऊपर-नीचे की ओर फिसल सकता है। यही कारण है कि लिंग हाथ से पकड़कर प्रवेश कराने से लिंग का योनि में प्रवेश आसान हो जाता है।
स्खलन के बाद संभोग : पुरुष और स्त्री की सेक्स प्रणाली में एक आधारभूत फर्क है। पुरुष में एक बार वीर्य स्खलन अथवा चरम सुख के बाद दूसरी बार लिंग उत्तेजित होने में समय लगता है। यह समय कुछ मिनटों से लेकर घंटों अथवा दिनों तक का भी हो सकता है।
यह समय प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग होता है और विभिन्न हालातों में भिन्न-भिन्न हो सकता है। यानी कि एक बार वीर्य स्खलन होने के पश्चात सामान्यत: लिंग को दोबारा उत्तेजना में आने में वक्त लगता है, जबकि स्त्री में ऐसा नहीं होता है। एक बार संभोग सुख मिलने के पश्चात फिर उत्तेजित करने पर स्त्री पुन: चरम सुख प्राप्त कर सकती है।
लिंग को लेकर एक धारणा यह भी... पढ़ें अगले पेज पर...
लिंग की चमड़ी और मैथुन : लिंग के आगे के हिस्से को ढंककर रखने वाली चमड़ी बहुत ही लचीली होती है। यह चमड़ी मैथुन अथवा संभोग के समय हथेली अथवा योनि की दीवारों की पकड़ से आसानी से पीछे हो जाना चाहिए। लिंग का योनि में इसके बाद ही प्रवेश संभव हो पाता है।
अगर यह चमड़ी बहुत कसी हुई हो एवं आसानी से पीछे नहीं होती हो, तो लिंग को योनि में प्रवेश कराने में अत्यधिक कठिनाई होती है। लिंग का प्रवेश असंभव हो सकता है। ऐसे में अगर जबरदस्ती प्रवेश कराने का प्रयास किया जाए तो ऊपर की चमड़ी फट सकती है, रक्तस्राव हो सकता है तथा अत्यधिक दर्द हो सकता है।
क्या वेक्यूम डिवाइस से लिंग उत्तेजित हो सकता है... पढ़ें अगले पेज पर...
वेक्यूम डिवाइस : यह जरूरी नहीं कि वेक्यूम डिवाइस से लिंग उत्तेजित हो जाए। अनेक बार यह पाया गया है कि वैक्यूम डिवाइस के प्रयोग से लिंग बिलकुल भी उत्तेजित नहीं हो पाता है। अगर थोड़ा-बहुत असर होता भी है, तो वह उतना प्रभावशाली नहीं होता है जिससे लिंग में कठोरता आ सके।
संभोग के लिए अंतराल : संभोग कब और कितनी बार करना चाहिए, इस बात को लेकर जितने मुंह उतनी बातें हैं। हकीकत में संभोग कब और कितनी बार करना चाहिए, इसके कोई निश्चित मापदंड नहीं हैं। यह तो दोनों पार्टनर की मर्जी पर निर्भर है। जब भी दोनों का मन और शरीर साथ दे, संभोग किया जा सकता है।
(डॉ. नवाल की पुस्तक सेक्स : अंधविश्वास और सच्चाई से)