शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन शरद ऋतु के आगमन का प्रतीक है और मौसम में ठंडक लाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और इसकी किरणों में अमृत की वर्षा होती है। इस विशेष दिन को स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति शरद पूर्णिमा की रात को जागरण करता है, उसे देवी लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शरद पूर्णिमा और लक्ष्मी जी का संबंध
शरद पूर्णिमा का देवी लक्ष्मी से गहरा संबंध है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों की आराधना से प्रसन्न होकर उन्हें धन-धान्य और समृद्धि का वरदान देती हैं। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस रात लक्ष्मी माता की पूजा करता है, उसके घर में धन की कभी कमी नहीं होती। इस दिन व्रत, पूजा और रातभर जागरण का विशेष महत्व होता है। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा को लक्ष्मी जी के उपासकों के लिए खास दिन माना जाता है।
शरद पूर्णिमा की पूजा विधि
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शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस दिन की पूजा विधि निम्नलिखित है:
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प्रातः स्नान करके लक्ष्मी जी का ध्यान करें।
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लक्ष्मी जी की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं और धूप-दीप से आरती करें।
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देवी लक्ष्मी को सफेद मिठाई और चावल का प्रसाद चढ़ाएं, क्योंकि यह दिन चंद्रमा और लक्ष्मी जी दोनों से संबंधित होता है।
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रात्रि को चंद्रमा की पूजा करें और दूध से बने खीर का भोग लगाएं।
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रात भर जागरण करें और "ओम श्री महालक्ष्म्यै नमः" मंत्र का जाप करें।
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