शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का समय:- आपके शहर में चांद निकलने के बाद रखें खीर। जब चांद पूरा नजर आए और चारों ओर अंधेरा हो तब रखें खीर। अनुमानित समय रात्रि 7 बजे से 8 बजे के बीच रखें खीर। आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं और शरद पूर्णिमा इस बार 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखने की परंपरा है।
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चांद से अमृत की वर्षा होती है। इसलिए इस दिन दूध से बनी खीर को खुले आसमान या घर की छत पर रखा जाता है। ऐसा करने से शरद पूर्णिमा (sharad purnima 2024) की चांदनी में खीर औषधीय गुणों से भर जाती हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा का चांद ज्यादा करीब होता है और इस चंद्रमा में पृथ्वी पर कुछ ऐसी किरणें आती हैं जो सभी रोगों को दूर करने में असरदार होती हैं। इसलिए इस दिन लोग दूध की खीर बनाकर रात भर चांद की रोशनी में रखते हैं। इसका सुबह सेवन करने से सभी तरह की बीमारियों से राहत मिलती है।
अगर आपके पास चांदी का बर्तन नहीं है तो आप साधारण स्टील के बर्तन में भी खीर रख सकते हैं। अगर किसी भी व्यक्ति को चर्म रोग हो तो वो इस दिन खुले आसमान में रखी हुई खीर खाएं। साथ ही इस दिन कम से कम कपड़े पहनकर चांद की रौशनी में बैठने से स्किन से जुडी समस्या खत्म हो जाती है। इस दिन चांद की रोशनी में मिश्री भी राखी जाती है। चांद की रोशनी सोखने वाली मिसरी पित्त से जुड़े रोगों के लिए औषधि का काम करती है। यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन होने पर औषधीय मिश्री और धनिया मिलाकर खाने से आराम मिलेगा।