Did Lord Shiva really take drugs: 8 मार्च 2024 शुक्रवार को महाशिवरात्रि है। शिवरात्रि या महाशिवरात्रि पर लोग खूब भांग पीते है। शिवजी को भांग का लेप किया जाता है और भांग चढ़ाई भी जाती है। बहुत से लोग मानते हैं कि भगवान शिव भांग पीते थे। कुछ अनाड़ी चित्रकारों ने बगैर सोचे समझे चिलम पीते हुए उनका चित्र भी बना दिया है। इसी के चलते समाज में संभवत: यह धारणा प्रचलित हो गई है कि शिवजी नशा करते हैं। क्या यह सच है?
1. सचाई यह है कि समुद्र मंथन से निकले विष की बूंद गिरने से भांग और धतूरे नाम के पौधे उत्पन्न हो गए। कोई कहने लगा कि यह तो शंकरजी की प्रिय परम बूटी है। फिर लोगों ने कथा बना ली कि यह पौधा गंगा किनारे उगा था। इसलिए इसे गंगा की बहन के रूप में भी जाना गया। तभी भांग को शिव की जटा पर बसी गंगा के बगल में जगह मिली है। फिर क्या था सभी लोग भांग घोट-घोट के शंकरजी को चढ़ाने लगे। जबकि शिव महापुराण में कहीं भी नहीं लिखा है कि शंकरजी को भांग प्रिय है। यह तो काशी, मथुरा आदि क्षेत्र के भंगेड़ियों ने ही इसे प्रिय बना दिया। हकीकत यह है कि शिवजी का कंठ जलता है तो इस कंठ की जलन को 2 वस्तुओं से रोका जा सकता है एक गाय का दूध और दूसरा भांग का लेप, लेकिन शास्त्रों में कहीं भी शिवजी के भांग, गांजा या चीलम पीने का उल्लेख नहीं मिलता है।
2. कई लोग कहते हैं कि भांग एक औषधी है और इसके कई औषिधीय गुणों की बात करते हैं और तर्क देते हैं कि यदि इसे उचित मात्रा में लें तो इसके कई मेडिकल फायदे हैं। दरअसल, मेडिकल फायदे बीमार लोगों के लिए हैं। भांग को सिर्फ दो लोग ही इस्तेमाल करते हैं एक वे जो बीमार हैं और दूसरा वे जो नशा करना चाहते हैं। शिवजी न तो बीमार है और ना ही नशा के आदि हैं। वे तो परम योगी है उन्हें भांग की आवश्यकता नहीं। ध्यान के नशे के आगे तो सभी नशे कमजोर हैं। जिसे समाधी का नशा हो वह दूसरा नशा क्या करेगा।
3. दरअसल, योग की उच्चतम स्थिति में शरीर की आवश्यकताएं अत्यन्त ही गौण हो जाती हैं। इस स्थिति में आहार का महत्त्व ही नहीं रह जाता। फिर नशे आदि का प्रयोजन ही कहां रह जाता है? कोई भी योगी किसी भी प्रकार का नशा नहीं करता क्योंकि योग की शक्तियां प्राप्त करने में हर तरह का नशा बाधा उत्पन्न करता है। जब एक सामान्य योगी ऐसा नहीं कर सकता तो फिर शिवजी तो भगवान हैं।