इससे प्रसन्न होकर शिवजी ने कहा- प्यारे ब्रह्मा तथा प्रिय विष्णु! आज का दिन महान है। आज तुमने ज्योतिर्लिंग के माध्यम से मेरे ब्रह्मस्वरूप का पूजन किया है, उसके बाद मूर्ति रूप में प्रकट मेरे चिन्मय स्वरूप का अर्चन किया है। इससे मैं प्रसन्न हुआ हूं। मैं तुम्हें वरदान देता हूं कि तुम दोनों अपने-अपने कार्यों में सफल हो जाओगे।