1. गया, बिहार: गया को पिंडदान के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। गयासुर की पौराणिक कथा के अनुसार, यहां पिंडदान करने से पितरों को सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। फल्गु नदी के तट पर और विष्णुपद मंदिर में पिंडदान का अनुष्ठान करने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
2. बद्रीनाथ, उत्तराखंड: चार धामों में से एक, बद्रीनाथ को भी पिंडदान के लिए पवित्र माना जाता है। नारायण शिला पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है और उन्हें बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त होता है। यह स्थान हिमालय की गोद में होने के कारण और भी आध्यात्मिक महत्व रखता है।
3. वाराणसी, उत्तर प्रदेश: काशी या वाराणसी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां प्राण त्यागने से मोक्ष मिलता है, और गंगा के घाटों पर पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मुक्ति मिलती है। यहाँ का हर घाट अपनी पवित्रता के लिए प्रसिद्ध है।
4. प्रयागराज, उत्तर प्रदेश: गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर स्थित प्रयागराज को 'तीर्थों का राजा' कहा जाता है। त्रिवेणी संगम पर पिंडदान करने से पितरों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और वे स्वर्गलोक में निवास करते हैं।
5. हरिद्वार, उत्तराखंड: गंगा नदी के उद्गम के पास स्थित हरिद्वार को भगवान शिव का द्वार माना जाता है। यहां हर की पौड़ी पर पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को परम शांति मिलती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
6. द्वारका, गुजरात: भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका में भी पिंडदान का विधान है। गोमती नदी के तट पर और द्वारका घाट पर श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मुक्ति मिलती है। यह स्थान कृष्ण भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।
7. पुरी, ओडिशा: जगन्नाथ मंदिर के लिए प्रसिद्ध पुरी में, समुद्र तट पर पिंडदान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है। यहां के 'स्वर्गद्वार' नामक स्थान पर पिंडदान करना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यहां से पितरों को सीधे स्वर्ग में प्रवेश मिलता है।