श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को पूर्वज बिदा होकर प्रस्थान कर जाते हैं। अमावस्या के दिन भी उसी प्रकार श्राद्ध किया जाता है जिस प्रकार पितृपक्ष के 16 दिनों में विशेष तिथि किया जाता है। जिन पूर्वजों की श्राद्ध की तिथि याद न हो उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाता है, इसमें सभी भूले-बिसरे पूर्वज शामिल हो जाते हैं।
हिंदू धर्म में श्राद्ध को पवित्र कार्य माना गया है, जिसमें परिवार अपने पितरों को याद करते हैं और उनकी शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिण्डदान आदि कराते हैं। पितृविसर्जन यानि महालया अमावस्या का पर्व इस बार 19 और 20 सितंबर को मनाया जाएगा।
पितृ अपने कुल की रक्षा करते हैं और उन्हें हर संकट से बचाते हैं। वे अपने वंशजों को सुख, समृद्धि, संतान, वैभव, यश, सौभाग्य, आरोग्य और ऐश्वर्य का आशीर्वाद देते हैं।
श्राद्ध को तीन पीढ़ियों तक निभाया जाना चाहिए।
अगर पितृ नाराज हो जाते हैं, तो जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।