-दूसरे के घर रहकर श्राद्ध न करें। मज़बूरी हो तो किराया देकर निवास करें।
-वन, पर्वत, पुण्यतीर्थ और मंदिर दूसरे की भूमि नहीं इसलिए यहां श्राद्ध करें।
-अगर यह भी संभव नहीं है तो गोबर के एक छोटे कंडे पर धूप जलाकर उस पर गाय के दूध, घी व हवन सामग्री डाल कर मन ही मन पितृ से कहें कि मेरे पास आपके आशीर्वाद से सबकुछ है लेकिन पैतृक आवास नहीं होने के कारण इस स्थान को शुद्ध कर मैं आपको आमंत्रित करता हूं। अवश्य पधारें।