किस तरह रखें व्रत : श्रावण सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। व्रत में एक समय भोजन करने को एकाशना कहते हैं और पूरे समय व्रत करने को पूर्णोपवा कहते हैं। यह व्रत कठित होते हैं। ऐसा नहीं कर सकते कि आप सुबह फलाहार ले लें और फिर शाम को भोजन कर लें या दोनों ही समय फलाहार लेकर समय गुजार दें। बहुत से लोग साबूदाने की खिचड़ी दोनों समय डट के खा लेते हैं, तो फिर व्रत या उपवास का कोई मतलब नहीं। व्रत या उपवास का अर्थ ही यही है कि आप भोजन को त्याग दें। हालांकि महिलाओं के लिए सावन सोमवार की व्रत विधि का उल्लेख मिलता है। उन्हें उस विधि के अनुसार ही व्रत रखने की छूट है।
*शिवरात्रि के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है।
*शिवरात्रि के दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
*उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर उनका जलाभिषेक करें।
*फिर शिवलिंग पर दूध, फूल, धतूरा आदि चढ़ाएं। मंत्रोच्चार सहित शिव को सुपारी, पंच अमृत, नारियल एवं बेल की पत्तियां चढ़ाएं। माता पार्वती जी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।
*इसके बाद उनके समक्ष धूप, तिल के तेल का दीप और अगरबत्ती जलाएं।
*इसके बाद ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
*शिव पूजा के बाद शिवरात्रि व्रत की कथा सुननी आवश्यक है।
*व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।
*दिन में दो बार (सुबह और सायं) भगवान शिव की प्रार्थना करें।
*संध्याकाल में पूजा समाप्ति के बाद व्रत खोलें और सामान्य भोजन करें।