उधर, महल के बाहर महल को आग लगाने की तैयारी की जा रही होती है। इधर, महल के अंदर वज्रदत्त, उसके साथियों सहित पांचों पांडव भी वस्त्र बदलकर सुरंग खोदने लगते हैं। कुछ समय बाद उधर दूसरी ओर से सुरंग खोदने वालों को वज्रदत्त व पांडवों के द्वारा सुरंग खोदने की आवाज आने लगती है। दोनों ओर से सुरंग खोदते हुए आगे बढ़ते हैं।