डॉ. राजशेखर व्यास
भैरवगढ़ नदी के छोर पर शहर से तीन मील दूरी पर है। प्राचीन अवन्तिका इधर बसी हुई है। अब भी एक उपनगर के समान यहां की भी बस्ती है। छपाई के काम करने वाले लोग अधिकांश यहां रहते हैं। इस स्थान के प्रमुख देव भैरव हैं। यह बस्ती टीले पर बसी हुई है। इस कारण भैरवगढ़ के नाम से इस स्थान की ख्याति है। पश्चिमोत्तर दिशा की ओर अधिकांश भाग में शहर पनाह (पत्थर की ऊंची दीवार) बनी हुई है। इसमें अंदर ही शिप्रा के उत्तर तट पर 'कालभैरव' का सुविशाल मंदिर है।
बाईं तरफ के द्वार से बाहर हैं किले की ओर जाने का मार्ग। यह किला लगभग 300 हाथ लंबा और 30 हाथ ऊंचा है। इसी जगह पहले सम्राट अशोक ने उज्जैन का जेलखाना बनवाया था। सम्राद अशोक के काल में इसे 'नरक या नरकागार' कहा जाता था। आज इसमें उज्जयिनी का बड़ा जेल है। इस जेल के कैदी द्वारा निर्मित भेरूगढ़ प्रिंट की चादरें विख्यात हैं। जेल में हाथ की कती-बुनी दरी वगैरह बनाई जाती है।