कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण? : यह सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका के उत्तर पूर्वी भाग, उत्तरी एशिया और उत्तरी अटलांटिक महासागर में दिखाई देगा। भारतीय मानक समयानुसार इन हिस्सों में ग्रहण का प्रारंभ 1 बजकर 43 मिनट पर दिन में होगा तथा इसका मोक्ष 6 बजकर 41 मिनट शाम को होगा।
कैसे होता है सूर्य ग्रहण : जब पृथ्वी पर चंद्रमा की छाया पड़ती है तब सूर्य ग्रहण होता है। मतलब सूर्य और धरती के बीच जब चंद्रमा आ जाता है तब सूर्य ग्रहण होता है। पूर्ण छाया खग्रास, आंशिक छाया खंडग्रास और जिसमें सूर्य के बीचोबीच छाया हो और आसपास से सूर्य नजर आए वह वलयकार ग्रहण होता है। ग्रहण के दौरान सूर्य में छोटे-छोटे धब्बे उभरते हैं जो कंकण के आकार के होते हैं इसीलिए भी इसे कंकणाकृति सूर्यग्रहण कहा जाता है।
कंकणाकृति सूर्यग्रहण ( kankanakruti suryagrahan ): सूर्य, चंद्र और धरती जब एक सीध में होते हैं अर्थात चंद्र के ठीक राहु और केतु बिंदु पर ना होकर ऊंचे या नीचे होते हैं तब खंड ग्रहण होता और जब चंद्रमा दूर होते हैं तब उसकी परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती तथा बिंब छोटे दिखाई देते हैं। उसके बिम्ब के छोटे होने से सूर्य का मध्यम भाग ढक जाता है। जिससे चारों और कंकणाकार सूर्य प्रकाश दिखाई पड़ता है। इस प्रकार के ग्रहण को कंकणाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।