'किंवदंतियां' ऐसे ही बना करती हैं

बीती रात 'बार्सिलोना' ने जो कुछ किया, उसे 'किंवदंती' से कम की संज्ञा नहीं दी जा सकती। 'बार्सा' ने जैसी करिश्माई वापसी की, उसकी तुलना वर्ष 2001 में कलकत्ता में लक्ष्मण और द्रविड़ की भागीदारी से ही की जा सकती है। जब सब कुछ समाप्त हो चुका हो और केवल समापन की औपचारिक घोषणा शेष रह गई है, तब तर्कों को झुठलाते हुए की जाने वाली अप्रत्याशि‍त वापसी। 
तीन मैचों की सीरीज़ थी। हम बंबई टेस्ट हार गए थे, कलकत्ता में हम फ़ॉलोऑन खेल रहे थे, सचिन दस रन बनाकर आउट हो चुके थे, हम हार रहे थे, हमारी पूंछ शेष रह गई थी, ऑस्ट्रेलिया जीत से महज़ चंद मिनट दूर था। लेकिन वो छिपकली की नहीं, बिच्छू की पूंछ थी। उस पूंछ में 'डंक' था। लक्ष्मण और द्रविड़ खेलते रहे, खेलते रहे, खेलते रहे। हमने कलकत्ता जीता। हमने मद्रास जीता। हमने वो सीरीज़ जीती। वह सब अब 'इतिहास' है। 'किंवदंतियां' ऐसे ही बनती हैं।
 
पूरे सोलह साल बाद, बार्सिलोना का 'कैम्प नोउ' स्टेडियम। 'इंडियन स्टैंडर्ड टाइम' के मुताबिक़ रात के साढ़े तीन बजे हैं। 88 मिनटों का खेल पूरा हो चुका है। बार्सिलोना को जीत के लिए अब भी 3 गोल चाहिए। 2 मिनट में 3 गोल! 'कैम्प नोउ' में मरघटी ख़ामोशी पसरी हुई है। लुई एनरीके मन ही मन सोच रहे हैं कि प्रेस कांफ्रेंस में उन्हें किस तरह से फ़ैन्स से माफ़ी मांगना है। सबकुछ बस ख़त्म ही होने वाला है। लेकिन नेमार के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा है। नेमार गेंद लेकर पेरिस की रक्षापंक्त‍ि की ओर दौड़ते हैं और 'फ्री किक' जीतते हैं। 'फ्री किक' वे स्वयं लेते हैं और गेंद को टॉप कॉर्नर में दाग़ देते हैं। 
 
बार्सिलोना 4 - पेरिस 5। दो मिनट बाद सुआरेज़ पेनल्टी जीतते हैं और नेमार इस बार गेंद को सीधे गोलपोस्ट में मार देते हैं। बार्सिलोना 5 - पेरिस 5, लेकिन पेरिस के पास एक बेशक़ीमती 'अवे-गोल' है और सीटी बजने की स्थ‍िति में वे ही विजेता रहेंगे। बार्सा को 5 मिनट का 'इंजुरी टाइम' मिलता है। 'इंजुरी टाइम' के तीसरे मिनट में नेमार मिडफ़ील्ड से गेंद को पेनल्टी एरिया की ओर पास करते हैं : हीरे-मोती-जवाहरात में तौला जाए, वैसा एक नायाब क्रॉस।
 
सेर्जी रोबेर्तो 'ऑनसाइड' हैं, वे आगे बढ़कर गेंद को गोल चौकी में दफ़न कर देते हैं। बार्सिलोना 6 - पेरिस 5। पेरिस यूएफ़ा चैंपियंस लीग से बाहर हो चुका है। बार्सिलोना लगातार दसवें साल क्वार्टर फ़ाइनल में है। 'कैम्प नोउ' में उन्माद छाया हुआ है, प्रशंसक चीख-चिल्ला रहे हैं और बार्सिलोना का एंथम गा रहे हैं। नेमार बार्सिलोना की दंतकथाओं में हमेशा के लिए शुमार हो चुके हैं।
 
लेकिन यह सब इतना आसान नहीं था। कोई एक महीने पहले, चौदह फ़रवरी को जब पेरिस ने हमें 'फ़र्स्ट लेग' में 4-0 से हराया था तो यहीं इसी फ़ेसबुक पर मैंने बार्सा कोच लुई एनरीके की ख़ूब लानत-मलामत की थी। मुझे ख़ुशी है कि उस मैच के बाद एनरीके ने ज़रूरी सबक़ सीखे और पेरिस के साथ वही किया, जो उन्होंने हमारे साथ किया था। 
 
कल रात आसमान से योहान क्रुएफ़ बार्सिलोना को ख़ूब आशीष दे रहे होंगे। केवल इसलिए नहीं कि बार्सिलोना ने अविश्वसनीय जीत दर्ज की, बल्क‍ि इसलिए भी कि बार्सिलोना 3-4-3 के उस 'डायमंड फ़ॉर्मेशन' के साथ खेली, जो कि क्रुएफ़ का प्रिय फ़ॉर्मेशन था और जिसकी मदद से उन्होंने बार्सिलोना की नब्बे के दशक वाली 'ड्रीम टीम' को तैयार किया था।
 
'डायमंड फ़ॉर्मेशन' : यानी फ़ुटबॉल के इतिहास की सबसे मशहूर आक्रमण तिकड़ी एम-एस-एन को तोड़ दिया गया। अब फ़ॉरवर्ड लाइन में नेमार, सुआरेज़ और राफ़ीनीया थे। मेस्सी सेंटर फ़ॉरवर्ड के पीछे प्लेमेकर की तरह खेल रहे थे। मिडफ़ील्ड में इनिएस्ता, बुस्केट्स और रैकिटिच थे और बैकलाइन में भी जेरार्ड पीके और सैम्युअल उम्तीती को आगे बढ़कर खेलने की हिदायत दी गई थी। ऐसा नहीं है कि बीती रात बार्सिलोना ने कोई बहुत अच्छे खेल का प्रदर्शन किया, लेकिन वे बहुत उम्दा खेल दिखाने की स्थ‍िति में थे भी नहीं। वे 4-0 से पीछे थे, उन्हें हर हाल में गोल दाग़ना थे। 
 
जीतने के लिए 5 गोल और अगर पेरिस 1 और गोल दाग़ देता है (जैसा कि उसने किया भी, इस साल यूरोप में सर्वाधिक गोल दाग़ने वाले स्ट्राइकर एडिन्सन कवानी की बदौलत) तो 6 गोल, क्योंकि तब पेरिस के पास एक निर्णायक 'अवे-गोल' होता। बार्सिलोना 'पासेस' के 'पैटर्न' बुनकर 'टिकी-टाका' शैली का खेल खेलती है, लेकिन बीती रात उसके पास 'प्लेमेकिंग' का गेम खेलने का वक़्त नहीं था। उसे 'हाई प्रेसिंग' का खेल खेलना था। दूसरे शब्दों में, बार्सिलोना को कल रीयल मैड्र‍िड की शैली का दोयम दर्जे का खेल खेलना था, यानी आगे बढ़ो, 'फ्री किक' जीतो, 'पेनल्टी' जीतो, 'कॉर्नर किक' जीतो और 'सेट पीस' से गोल दाग़ो। हमारे पास कल कोई चारा नहीं था। हम अपने प्रशंसकों से वादा करते हैं कि आगामी मैचों में हम आपको बार्सिलोना की शास्त्रीय शैली का ख़ूबसूरत खेल ही दिखाएंगे।
 
बीती रात रैफ़री के निर्णयों के बारे में बहुत-सी बातें कही जा रही हैं। येस्स, सुआरेज़ को जो 'पेनल्टी' दी गई, वो ग़लत थी। लेकिन उसके अलावा 5 दुरुस्त गोल हमने दाग़े हैं, इसे आप नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। पहला गोल सुआरेज़ की 'हाई प्रेसिंग' का परिणाम था, दूसरा गोल इनिएस्ता की स्क‍िल थी, तीसरा गोल क्लीयर पेनल्टी थी, चौथा गोल स्ट्रेट फ्री-किक थी, छठा गोल 'ऑनसाइड' था। 
 
मैशेरानो की 'हैंडबॉल' अगर थी तो मेस्सी की फ्री-किक पर रैबियो की भी 'हैंडबॉल' थी। इस सीज़न में एक ऐसा गेम बता दीजिए, जिसमें रैफ़री ने ग़लतियां ना की हों। अगर रैफ़री ग़लतियां नहीं करते तो आज मैड्र‍िड लीग टेबल में चौथे क्रम पर होता। 'यूएफ़ालोना' का नारा लगा देना आसान है, लेकिन पेरिस भी यूरोप के सबसे अमीर क्लबों में से एक है। 4-0 से आगे रहने के बावजूद अगर वह एग्रीगेट में हार जाता है, तो इससे साफ़ है कि वह अभी यूरोपियन फ़ुटबॉल के लिए तैयार नहीं है। ख़ुद पेरिस के कोच स्वीकार कर रहे हैं कि हम हार के हक़दार थे और बार्सिलोना जीत की हक़दार थी। वैसे भी आप बार्सिलोना के बिना चैंपियंस लीग नहीं खेल सकते हैं। आई मीन, आप 'लाड़े' के बिना 'बारात' कैसे निकालेंगे साहेबान! 
 
प्रसंगवश, बीती रात लियोनल मेस्सी फीके-फीके नज़र आए। कारण, मेस्सी एक 'आर्टिस्ट' हैं, 'फ़िलॉस्फ़र' हैं, ऐसा मैड्र‍ि‍डनुमा घटिया खेल उनके बस का रोग नहीं। कल बार्सिलोना को नेमार, सुआरेज़ और पीके जैसे 'ढीठ' लड़ाकुओं की दरकार थी। कल हमें 'डर्टी गेम' खेलने वालों की ज़रूरत थी।

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