कॉमनवेल्थ गेम्स के रंग में डूबी दिल्ली

गुरुवार, 30 सितम्बर 2010 (20:29 IST)
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दुनिया और देश का सफर पूरा कर क्वींस बेटन रिले के आज अपने अंतिम पड़ाव में राजधानी पहुँचने के साथ ही दिल्ली 19वें कॉमनवेल्थ गेम्स के रंग, जोश और खुमारी में डूब गई।

बेटन रिले का कॉमनवेल्थ गेम्स की आयोजन समिति के मुख्यालय में दिल्ली के उपराज्यपाल तेजेन्द्र खन्ना, मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने भव्य स्वागत किया।

बेटन रिले के आयोजन समिति मुख्यालय में स्वागत के साथ ही तीन अक्टूबर से होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स की उल्टी गिनती भी शुरू हो गई। उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और आयोजन समिति के अध्यक्ष तीनों ने ही एक स्वर में घोषणा कर दी कि दिल्ली अब तक के सबसे भव्य और यादगार कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन करने के लिए तैयार है।

द्रोणाचार्य अवॉर्डी पहलवान महाबली सतपाल बेटन लेकर साढ़े बारह बजे आयोजन समिति के मुख्यालय के हाल में पहुँचे जहाँ मंच पर सबसे पहले उपराज्यपाल ने इसे तालियों की गड़गड़ाहट के बीच ग्रहण किया। उपराज्यपाल ने फिर बेटन मुख्यमंत्री को सौंपी जिनके हाथों से बेटन निकलकर कलमाड़ी के हाथों में पहुँची।

बेटन ग्रहण करने के समय तीनों ही खुशी से झूम रहे थे और अंततः यह यकीन हो गया था कि खेलों का आयोजन अब ज्यादा दूर नहीं है। तीनों ही बार-बार तालियाँ बजा रहे थे और उस दौरान कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए बनाए गए गीत हाल में गूँज रहे थे।

कॉमनवेल्थ गेम्स का शुभंकर मंच पर मौजूद था और पूरा हाल जैसे बेटन के आगमन के उत्सव में बदल चुका था। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन से पहले कलमाड़ी की पीठ थपथपाते हुए उन्हें शाबाशी दे डाली। बेहद गदगद नजर आ रहे कलमाड़ी ने कहा कि अब पूरी दुनिया देखेगी कि हम अब तक के सर्वश्रेष्ठ कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन कैसे करते हैं।

आयोजन समिति के मुख्यालय पर सुबह से हलचल तेज हो चुकी थी और सभी निगाहें इस बात पर लगी हुई थी कि बेटन रिले प्रातः कापसहेडा बार्डर से राजधानी में प्रवेश करने के बाद मुख्यालय कब पहुँचती है। मुख्यालय के बाहर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे और बेटन के स्वागत में मुख्यालय के अंदर जबरदस्त तैयारियाँ की गई थी।

मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सबसे पहले मुख्यालय पहुँची थीं और उन्होंने मुख्यालय के मुख्य द्वार के बाहर रोबोटिक शेरा का फीता काटकर उद्घाटन किया। बेटन जब मुख्यालय पहुँची तो दूसरी राजपूताना रेजीमेंट्स के पाइपर धुन बजाते हुए बेटन के साथ चल रहे थे।

बेटन महाबली सतपाल के हाथों में थी और उनके चारों तरफ बेटन रिले के साथ चलने वाले लोग हल्के-हल्के कदमों से मुख्यालय के हाल की तरफ बढ़ रहे थे। शेरा ने बेटन से पहले हाल में प्रवेश कर लिया था। सतपाल ने जैसे ही बेटन लेकर हाल में प्रवेश किया पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा।

मंच पर उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और कलमाड़ी के बेटन ग्रहण करने के बाद बेटन के राष्ट्रीय सेक्टर की यात्रा पर एक लघुफिल्म दिखाई गई जिसमें बेटन के वाघा सीमा से देश में प्रवेश करने से लेकर दिल्ली आगमन का सारा चित्रण था1

पूरा माहौल उत्सवमय हो चुका था। वर्कफोर्स के कार्यकर्ता तिरंगा लहराते और तालियाँ बजाते हुए वहाँ उपस्थित लोगों में जोश पैदा कर रहे थे। पृष्ठभूमि में ऑस्कर पुरस्कार विजेता एआर रहमान का राष्ट्रमंडल खेलों का गीत बज रहा था।

वर्कफोर्स के कार्यकर्ता मंच पर पहुँचे और वहाँ उन्होंने शेरा के साथ नाचना शुरू कर दिया। यह देखकर मुख्यमंत्री खुद को रोक नहीं सकीं और वह भी मंच पर पहुँच गई। उनके मंच पर पहुँचने के तुरंत बाद ही उपराज्यपाल और कलमाड़ी भी मंच पर पहुँच गए।

कलमाड़ी ने तभी विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के नेता जगदीश मुखी को भी मंच पर बुला लिया। मुखी हाथों में बेटन लिए गदगद नजर आ रहे थे। सभी नेता तालियाँ बजा रहे थे और इस दौरान उन्होंने आपसी आलोचनाओं को दरकिनार कर दिया।

इससे पहले 70 कॉमनवेल्थ गेम्स और भारत के सभी प्रांतों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में 190000 किलोमीटर की यात्रा के बाद बेटन ने सुबह कापसहेडा बॉर्डर से दिल्ली में प्रवेश किय। दिल्ली के खेलमंत्री अरविंदरसिंह लवली ने बेटन को ग्रहण किया।

बेटन तीन दिन तक दिल्ली में रहेगी। बेटन रिले के लिए राजधानी में जो मार्ग चुना गया है वह केवल पॉश कॉलोनियों से गुजरता है। राजधानी के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के इन नौ स्थानों पर बेटन औसतन आधे घंटे ठहरेगी। यह मार्ग मध्य दिल्ली और इससे सटे दक्षिणी दिल्ली में ही सीमित रखा गया है। (वार्ता)

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