राष्ट्रपति ने खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार से किया सम्मानित

शनिवार, 30 अगस्त 2014 (09:41 IST)
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नई दिल्ली। खिलाड़ियों चयन को लेकर विवाद और 20 साल में पहली बार किसी को खेल रत्न नहीं दिए जाने जैसी घटनाओं के बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को यहां राष्ट्रपति भवन में समारोह में राष्ट्रीय खेल पुरस्कार बांटे।

अतीत की तरह इस पर भी पुरस्कारों पर चयन विवाद का साया रहा जब मुक्केबाज मनोज कुमार ने नई अंक प्रणाली के मुताबिक क्वालीफाई करने के बावजूद अर्जुन पुरस्कार नहीं दिए जाने पर खेल मंत्रालय को अदालत में घसीट दिया।

इसके अलावा पुरस्कार चयन समिति को इस साल देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के लिए कोई योग्य उम्मीदवार नहीं मिला। इस पुरस्कार के लिए जो सात नाम 12 सदस्यीय पैनल के समक्ष रखे गए उनमें से किसी के भी नाम पर सहमति नहीं बनी जिसके कारण 1994 से यह पहला मौका रहा जब इस शीर्ष पुरस्कार के लिए किसी खिलाड़ी के नाम की सिफारिश नहीं की गई।

विवादों के इतर समारोह में पुरानी परंपरा बरकरार रही जब पुरस्कार विजेताओं ने सम्मानित अतिथियों की मौजूदगी में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच राष्ट्रपति से अपने अपने पुरस्कार हासिल किए। अतिथियों में उप राष्ट्रपति एम हामिद अंसारी और खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल भी शामिल थे।

इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा वनडे श्रृंखला में हिस्सा लेने के लिए इंग्लैड में मौजूद भारतीय स्पिनर आर अश्विन समारोह के लिए नहीं आए। राष्ट्रपति ने इस मौके पर अखिलेश वर्मा (तीरंदाज), टिंटू लुका (एथलेटिक्स), एच एन गिरीशा (पैरालंपिक), वी दीजू (बैडमिंटन), गीतू आन जोस (बास्केटबाल), जय भगवान (मुक्केबाजी), अनिर्बान लाहिड़ी (गोल्फ), ममता पुजारी (कबड्डी), साजी थामस (रोइंग), हीना सिद्धू (निशानेबाजी), अनाका अलंकामोनी (स्क्वाश), टाम जोसफ (वालीबाल), रेणुबाला चानू (भारोत्तोलन) और सुनील राणा (कुश्ती) को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया।

अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यान चंद पुरस्कार विजेताओं को प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र और पांच लाख रुपये की इनामी राशि दी गई। राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार विजेताओं को ट्राफी दी गई। महान क्रिकेट कपिल देव की अगुआई वाले पुरस्कार चयन पैनल में अंजू बाबी जार्ज और कुंजरानी देवी जैसे पूर्व खिलाड़ियों के अलावा दो मीडियाकर्मी और तीन सरकारी प्रतिनिधि शामिल थे। भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक जिजि थामसन भी पैनल का हिस्सा थे।

राष्ट्रमंडल खेल 2010 के कांस्य पदक विजेता जयभगवान को पुरस्कार के लिए चुनने जबकि इसी प्रतियोगिता के स्वर्ण पदक विजेता मनोज की अनदेखी से पुरस्कारों से पहले काफी विवाद हो गया था। इसके अलावा बीस वर्षीय स्क्वाश खिलाड़ी अनाका अलंकामोनी के नाम को शामिल करने पर भी विवाद हुआ। (भाषा)

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