खेल परिषद ने खेल को स्कूलों की पाठ्यक्रम में शामिल करने और विषय के तौर पर खेल को नर्सरी स्तर से ही बच्चों को पढ़ाए जाने की वकालत की है। बच्चों की प्रतिभा और खेल योग्यता का आकलन प्रारंभिक स्तर से ही किया जाना चाहिए जिससे कि प्रशिक्षण और शिक्षा के माध्यम से उनकी प्रतिभा में सुधार और विकास किया जा सके। स्कूल के बजट में खेलों के लिए अनिवार्य प्रावधान होना चाहिए जिसका उपयोग केवल खेल गतिविधियों के लिए ही किया जाए।