भारत वर्ष 2011 में यह खिताब अपने नाम कर चुका है और वह जिस तरह से खेल रहा है, एक बार फिर से खिताब जीतने की उसकी संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। भारत ने पहले मैच में जापान को 10-2 के विशाल अंतर से हराकर अपने टूर्नामेंट में अपने अभियान की शुरुआत की थी और अंतिम लीग मैच में मेजबान मलेशिया को 2-1 से हराकर 5 मैचों में चौथी जीत दर्ज की थी। भारत 13 अंकों के साथ शीर्ष स्थान पर रहा था।
भारत को लीग मैचों में एकमात्र ड्रॉ कोरिया के खिलाफ ही खेलना पड़ा था लेकिन सेमीफाइनल में उसके प्रभावी प्रदर्शन किए जाने की संभावना को इससे भी बल मिलता है कि उसने अब तक 5 मैचों में जहां 6 गोल खाए हैं वहीं विपक्षी टीमों की रक्षापंक्ति को ध्वस्त करते हुए 25 गोल किए हैं। इन 25 गोलों में अकेले 10 गोल स्टार ड्रैग फ्लिकर रूपिंदर पाल सिंह ने किए हैं।
कप्तान के अलावा डिफेंडर सुरेन्दर सिंह पर भी 2 मैचों का प्रतिबंध लगाने से वे भी इस मैच में नहीं खेल पाएंगे। कुल मिलाकर एक बार फिर सबकी निगाहें पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ रूपिंदर पर होंगी। दूसरी तरफ ग्रुप चरण में चौथे स्थान पर रही कोरिया के लिए सिर्फ एक बात ही राहत की है कि भारत से ग्रुप चरण में एकमात्र न हारने वाली टीम वही रही थी। भारत को यदि खिताबी मुकाबले में जगह बनानी है तो उसे आत्ममुग्धता से बचते हुए संयमित खेल दिखाना होगा और अपनी मजबूती के हिसाब से ही खेलना होगा। (वार्ता)