सतपाल ने कहा, वाजपेयी जी गुरु हनुमान अखाड़े में बहुत आया करते थे और पहलवानों से मिलते थे। मैं जब 1975 में भारत केसरी और 1976 में रुस्तमे हिन्द बना था तो उन्होंने गुरु हनुमान अखाड़े में मुझे आशीर्वाद दिया था। वह मुझे बहुत पसंद करते थे। उनके गुरु हनुमान के साथ बहुत अच्छे सम्बन्ध थे और गुरु हनुमान कहा करते थे कि वह और वाजपेयी लंगोटिया यार हैं।
महाबली सतपाल ने कहा, 'उनके निधन से ऐसा लग रहा है कि हमने अपने गुरु जी को खो दिया है। वह एक महान नेता थे और पहलवानों को बहुत प्यार करते थे और उन्हें हमेशा आशीर्वाद दिया करते थे।' उन्होंने कहा, वह जब भी अखाड़े में आते थे तो खाना खाये बिना नहीं जाते थे।
वह खाने के बहुत शौक़ीन थे। वह हमेशा हमसे कहते थे कि देश से ऊपर कुछ नहीं है और ताकत का हमेशा सही इस्तेमाल होना चाहिए।' द्रोणाचार्य अवॉर्डी ने उस समय को याद करते हुए कहा, 'मुझे याद है कि उन्होंने 1976 में मुझे बादाम की बोरी दी थी।