मुक्केबाज गौरव बिधूड़ी के करियर को मिली संजीवनी

बुधवार, 30 अगस्त 2017 (16:44 IST)
हैम्बर्ग। कमर की चोट और करीबी मुकाबले हारने से विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप से पहले गौरव बिधूड़ी का आत्मविश्वास टूटा हुआ था लेकिन भारत के लिए यहां एकमात्र पदक पक्का करके उसके करियर को नई संजीवनी मिल गई।

जुलाई के अंत तक गौरव भारतीय टीम का हिस्सा नहीं थे लेकिन फिर एशियाई मुक्केबाजी परिसंघ ने उन्हें वाइल्ड कार्ड दिया। मुकाबले के बाद गौरव ने कहा कि जब मुझे वाइल्ड कार्ड के बारे में पता चला तो मैं हर कोच से पूछता रहा कि क्या यह सही है। मैने सभी से पूछा और सबने जब कह दिया कि हां ये सच है तो ही मैने चैन की सांस ली।
 
दिल्ली का यह मुक्केबाज भारतीय सर्किट पर चर्चा का विषय था, क्योंकि हर टूर्नामेंट में क्वार्टर फाइनल से बाहर होने का उसका रिकॉर्ड हो गया था। ताशकंद में एशियाई चैंपियनशिप में 2 बार वह विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई करने का मौका चूका।
 
उसने कहा कि मैं हर टूर्नामेंट में क्वार्टर फाइनल में हार गया। यहां भी क्वार्टर फाइनल तक पहुंचा तो नकारात्मक सोच मुझ पर हावी होने लगी कि कहीं फिर ऐसा ना हो जाए। लेकिन फिर मुझे लगा कि मैं यह मिथक तोड़ सकता हूं। 
 
उसने कहा कि एक खिलाड़ी के लिए दिमाग पर काबू रखना बहुत मुशिकल होता है। मेरे दिमाग में भी हर तरह के विचार आ रहे थे। मुझे दिमाग से कई तरह की आवाजें आ रही थी, जो सिर्फ मैं सुन सकता था। गौरव अगर गुरुवार को सेमीफाइनल जीत जाता है तो कांस्य से बेहतर पदक जीतने वाला अकेला भारतीय मुक्केबाज होगा।
 
गौरव ने कहा कि मैं लगातार चोटों से जूझ रहा था लेकिन मैने उन पर ध्यान नहीं दिया। पिछले 7-8 महीने से कमर में बहुत दर्द था लेकिन मैं लगातार अभ्यास करता रहा और आखिरकार पदक जीता। गौरव बेंटमवेट (56 किलो) सेमीफाइनल में अब अमेरिका के ड्यूक रेगान से खेलेंगे।
 
इससे पहले विजेंदर सिंह (2009), विकास कृष्णन (2011) और शिव थापा (2015) विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत चुके हैं। गौरव मंगलवार को इन तीनों से एक कदम आगे निकलना चाहेगा। उसने कहा कि इससे अतीत में क्वार्टर फाइनल मुकाबलों में उसके हारने का मलाल दूर हो जाएगा। (भाषा)

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