दोनों तीरंदाज पांच सेट के खत्म होने के बाद 5-5 की बराबरी पर थीं, जिससे शूटआफ कराना पड़ा। दीपिका और लिजा दोनों ने नौ अंक जुटाए लेकिन दीपिका ने केंद्र के निकट निशाना लगाने से कांस्य पदक अपने नाम किया। दीपिका ने विश्व कप फाइनल्स में पांचवीं बार पोडियम स्थान हासिल किया, वह पहले चार बार रजत पदक जीत चुकी है।
पांचवें सेट में ड्रॉ से ही दीपिका तीसरा स्थान हासिल कर सकती थीं, लेकिन कोच की अनुपस्थिति में यह भारतीय जूझती दिखी और उसका शॉट बाहर चला गया। दीपिका ने कहा, मैं पहली बार बिना कोच के इतने बड़े टूर्नामेंट में खेल रही हूं। लेकिन खुश हूं। जितना कठिन टूर्नामेंट होता है, उतना ही बेहतर हम होते हैं।
शूटआफ तनावपूर्ण रहा। इस बारे में उन्होंने कहा, अधिकतर मैं शूटआफ में हार जाती हूं इसलिए मैंने थोड़ी तनाव में आ गयी। लेकिन मैंने खुद से कहा कि जो भी नतीजा होगा मैं स्वीकार करूंगी। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगी। मैं अपने तीरों से संतुष्ट थी।
उन्होंने कहा, एशियाई खेलों से पहले मुझे डेंगू हो गया था, जिससे मैं कमजोर हो गयी थी। लेकिन एशियाई खेलों के बाद मैंने 15 दिन का ब्रेक लिया और यहां आयी। मैं कांस्य पदक से खुश हूं। काश मैं इसे रजत या फिर स्वर्ण में बदल पाती।
भारतीय तीरंदाजों ने इस तरह अपना अभियान दो कांस्य ओर एक रजत पदक से समाप्त किया। रजत पदक उन्होंने कम्पाउंड मिश्रित स्पर्धा में जीता जिसे प्रदर्शन स्पर्धा के तौर पर इसमें शामिल किया गया है, जिसमें केवल दो टीमें थी, जिसमें एक मेजबान देश है। अपने दूसरे विश्व कप फाइनल में अभिषेक वर्मा ने शनिवार को पुरूष कम्पाउंड स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया।