भारत की युवा शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने अपने करियर की सबसे बड़ी सफलता हासिल करते हुए सोमवार को यहां हमवतन और अपने से कहीं अधिक अनुभवी कोनेरू हम्पी को टाईब्रेकर में हराकर फिडे महिला विश्व कप का खिताब जीता।
इस जीत से 19 साल की दिव्या ने ना सिर्फ यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जीता बल्कि साथ ही ग्रैंडमास्टर भी बन गईं जो टूर्नामेंट की शुरुआत में असंभव लग रहा था।
वह ग्रैंडमास्टर बनने वाली सिर्फ चौथी भारतीय महिला और कुल 88वीं खिलाड़ी हैं।नागपुर की इस खिलाड़ी ने शनिवार और रविवार को खेले गए दो क्लासिकल मुकाबलों के ड्रॉ होने के बाद टाईब्रेकर में जीत दर्ज की।
दो क्लासिकल बाजी ड्रॉ होने के बाद टाईब्रेकर का पहला समूह निर्णायक साबित हुआ जिसमें हम्पी ने अपना संयम खो दिया। विश्व कप और महिला विश्व चैंपियनशिप को छोड़कर हम्पी ने अंतरराष्ट्रीय शतरंज में सब कुछ जीता है लेकिन किस्मत या फिर अपने धैर्य के कारण विश्व कप खिताब जीतने में नाकाम रही हैं।
Divya Deshmukh became the 4th Indian woman to earn the title of Grandmaster with her victory at the FIDE Womens World Cup 2025.
— All India Radio News (@airnewsalerts) July 28, 2025
दिव्या ने सोमवार को दृढ़ निश्चय दिखाया और इस जज्बे का बोनस ग्रैंडमास्टर खिताब था जो इस प्रतियोगिता के चैंपियन के लिए आरक्षित था।
सोमवार को समय नियंत्रित टाईब्रेकर की पहली बाजी में सफेद मोहरों से खेलते हुए दिव्या ने हम्पी को फिर से ड्रॉ पर रोका लेकिन दूसरी बाजी में काले मोहरों से खेलते हुए उन्होंने दो बार की विश्व रैपिड चैंपियन को हराकर जीत दर्ज की।दिव्या अब हम्पी, डी हरिका और आर वैशाली के साथ देश की ग्रैंडमास्टर बनने वाली महिलाओं की सूची में शामिल हो गई हैं।
हम्पी 38 साल की हैं और 2002 में ग्रैंडमास्टर बनीं जबकि दिव्या का जन्म 2005 में हुआ। दिव्या ऊर्जा से भरी थीं और उन्होंने शुरुआती टाईब्रेकर में हम्पी पर दबाव बनाए रखा और अपनी दिग्गज प्रतिद्वंद्वी को थका दिया और फिर दूसरे टाईब्रेकर में जीत दर्ज की।
पेट्रॉफ डिफेंस का इस्तेमाल करते हुए दिव्या ने हम्पी को पहली टाईब्रेक बाजी में बेहतर स्थिति में होने का मौका दे दिया था। हम्पी ने हालांकि समय के दबाव में गलती की और जल्द ही वह ऐसी स्थिति में पहुंच गईं जहां उनके पास दिव्या की रानी के खिलाफ एक रूक (हाथी), बिशप (ऊंट) और एक पॉन (प्यादा) था।
हालांकि स्थिति लगभग बराबरी की रही और अंत में हम्पी ने आसानी से ड्रॉ कर लिया।दूसरी बाजी में हम्पी ने कैटलन ओपनिंग का इस्तेमाल किया और दिव्या फिर से अच्छी तरह तैयार थीं। हम्पी ने 40वीं चाल में अपना आपा खो दिया और प्यादों को गंवाकर विरोधी खिलाड़ी पर आक्रमण करने की कोशिश की। दिव्या को हालांकि इससे अधिक मुश्किल नहीं हुई।
यह दिव्या का दिन था क्योंकि हम्पी के पास फिर से समय की कमी थी और उन्होंने फिर से गलती की जिससे सैद्धांतिक रूप से दिव्या की जीत की स्थिति बन गई।इस बाजी में दिव्या की किस्मत लंबे समय तक बराबरी और जीत के बीच झूलती रही जिसके बाद नागपुर की इस लड़की ने बाजी मार ली।(भाषा)