दो माह के भीतर रोनाल्डो और ग्रीजमन एक बार फिर आमने-सामने

तो फाइनल की टीमें तय हो गईं। रविवार रात पुर्तगाल का मुकाबला मेजबान फ्रांस से होगा। जैसी कि मीडिया की आदत है, इस मैच को भी क्रिस्टियानो रोनाल्डो और अंथुआन ग्रीजमन के बीच मुकाबला बताया जा रहा है। मुझे हैरत हो रही है कि मीडिया की 'कलेक्ट‍िव मेमोरी' कितनी कमजोर हो सकती है! 
 
अभी डेढ़ महीना भी नहीं हुआ, जब रोनाल्डो और ग्रीजमन एक हाईप्रोफाइल खिताबी मुकाबले में आमने-सामने थे। पिछली 28 मई को इटली के मिलान में हुए यूएफा चैंपियंस लीग फाइनल में (चैंपियंस लीग फाइनल को फुटबॉल की दुनिया में विश्व कप और यूरो कप फाइनल के बाद तीसरा सबसे बड़ा मुकाबला माना जाता है) रोनाल्डो रीयल मैड्रिड की ओर से खेल रहे थे, ग्रीजमन एटलेटिको मैड्रिड की ओर से। 
 
पेनल्टी शूटआउट में रीयल मैड्रिड की जीत हुई थी। ग्रीजमन पेनल्टी चूक गए थे, ज‍बकि रोनाल्डो ने विजयी पेनल्टी दागी थी। अगर 'आमने-सामने' की हेडिंग बनाना इतना ही जरूरी हो तो प्लीज इस तरह की हेडिंग बनाओ : 'दो माह के भीतर रोनाल्डो और ग्रीजमन एक बार फिर आमने-सामने।'
 
फ्रांस निश्चित ही टूर्नामेंट की सर्वश्रेष्ठ टीमों में शामिल रहा है, लेकिन पुर्तगाल? पूरे टूर्नामेंट में पुर्तगाल ने औसत फुटबॉल खेला और अब वह फाइनल में है। उससे कहीं बेहतर खेल दिखाने वाली बेल्ज‍ियम, जर्मनी, इटली और वेल्स बाहर हैं। यह ठीक नहीं है। क्या अब अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में भी चैंपियंस लीग की 'टू लेग प्रणाली' नहीं लागू कर दी जाना चाहिए? 
 
गौरतलब है कि चैंपियंस लीग में क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल मुकाबले 2 लेग में होते हैं- होम गेम, अवे गेम, जिसमें हर टीम को 2 मौके मिलते हैं। इसी साल चैंपियंस लीग क्वार्टर फाइनल की पहली लेग में वुल्फ्सबुर्ग ने रीयल मैड्रिड को 2-0 से हरा दिया था। 
 
दूसरी लेग में क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने है‍ट्रिक मारी और रीयल मैड्रिड 3-2 के एग्रीगेट टोटल के आधार पर सेमीफाइनल में पहुंचा और अंतत: टूर्नामेंट जीत लिया। मुझे पूरा यकीन है कि अगर यूरो कप में भी 'टू लेग प्रणाली' होती तो आज बेल्ज‍ियम या वेल्स फ्रांस के साथ फाइनल खेल रहे होते।
 
सेमीफाइनल में क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने वेल्स के खिलाफ जो हेडर गोल दागा, उसे अब तक का सर्वश्रेष्ठ हेडर गोल कहा जा रहा है। ऐसा कहने में कोई हर्ज नहीं है। वह एक 'सुपरह्यूमन' गोल था। क्रिस्टियानो रोनाल्डो अद्भुत शारी‍रिक क्षमताओं का धनी खिलाड़ी है और उससे बेहतर शारीरिक सौष्ठव अभी किसी अन्य फुटबॉलर का नहीं। वह फुटबॉल का विराट कोहली है जिसकी प्रतिभा के इतर उसकी देह की सुगठित लय भी अपने आपमें रोमांचक नजारा होती है। 
 
कुछ खिलाड़ी बहुत फिजिकल होते हैं, वही सौष्ठव उनकी प्रतिभा के साथ एकमेक हो जाता है। कुछ अन्य किंचित कलात्मक आलस्य से भरे होते हैं। क्रिकेट में भी ऐसा होता है। जैसे विव रिचर्ड्स की अतिमानवीय शारीरिक क्षमताओं के बरअक़्स डेविड गॉवर की कलात्मकता- उनके एक घुटने पर झुककर मारे गए कवर ड्राइव- जो रिचर्ड्स के छक्कों की तुलना में हमेशा अधिक दर्शनीय होते थे।
 
ग्रीजमन का नाम चहुंओर गूंज रहा है। मुझे खुशी है। फ्रांस में सहसा मिशेल प्लातिनी और जिनेदिन जिदान से उसकी तुलना की जाने लगी है। गनीमत है कोई तियरी ऑनरी से उसकी तुलना नहीं कर रहा है। ग्रीजमन अद्भुत तकनीकी क्षमता का स्ट्राइकर है और गजब का फुर्तीला भी है। अलबत्ता सेमीफाइनल में उसके द्वारा जर्मनी के खिलाफ दागे गए दोनों गोल कोई बहुत आला दर्जे के नहीं थे। पहला गोल तो पेनल्टी ही थी। उसकी तुलना में फर्स्ट हाफ में उसके द्वारा जर्मन चौकी पर बोले गए धावे कहीं लाजवाब थे, जो गोल में तब्दील नहीं हो सके।
 
और अंत में : कहा जा रहा है कि अगर रोनाल्डो पुर्तगाल के लिए यूरो कप जीत लाते हैं तो मेस्सी बनाम रोनाल्डो बहस का अंत हो जाएगा और मेस्सी पर रोनाल्डो की श्रेष्ठता सिद्ध हो जाएगी। यह विशुद्ध बकवास है। रोनाल्डो अगर 4 विश्व कप और 12 यूरो कप भी जीत लें, तब भी वह मेस्सी से श्रेष्ठ नहीं हो सकता। 
 
ब्रायन लारा ने एक भी विश्व कप नहीं जीता, सचिन ने एक जीता, एडम गिलक्रिस्ट ने तीन जीते, तब भी महान बल्लेबाजों की सूची में गिलक्रिस्ट लारा और सचिन के पासंग भी नहीं रहता है। खेल में जीत केवल एक तथ्य होती है, जबकि कौशल ही सर्वोत्कृष्ट होता है। हमें इसे भूलना नहीं चाहिए।

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