हॉकी विश्व कप में 43 साल का खिताबी सूखा समाप्त करने उतरेगा भारत
मंगलवार, 27 नवंबर 2018 (16:38 IST)
भुवनेश्वर। ओड़िशा के भुवनेश्वर शहर में हॉकी विश्व कप का बिगुल बज चुका है और मेजबान भारत 43 साल का खिताबी सूखा समाप्त करने के इरादे से कलिंगा स्टेडियम में उतरेगा।
भारत को टूर्नामेंट के पूल सी में बेल्जियम, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका के साथ रखा गया है। भारत का पहला मुकाबला बुधवार को दक्षिण अफ्रीका से होगा और इसी दिन बेल्जियम और कनाडा की टीमें भी भिड़ेंगी। भारत को घरेलू दर्शकों के अपार सहयोग से यह मुकाबले जीतने में ज्यादा परेशानी नहीं होनी चाहिए।
मेजबान भारत विश्व कप का खिताब जीतने वाले पांच देशों में शामिल है और उसने अपना एकमात्र खिताब 1975 में जीता था लेकिन उसके बाद से भारत कभी सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाया। भारत ने 1971 में पहले विश्व कप में तीसरा, 1973 में दूसरे विश्व कप में दूसरा और 1975 में तीसरे विश्व कप में पहला स्थान हासिल किया था। भारत का यही आखिरी विश्व खिताब था।
विश्व कप जीतने वाले चार अन्य देशों में पाकिस्तान (4 बार), हॉलैंड (3 बार), ऑस्ट्रेलिया (3 बार) और जर्मनी (2 बार) शामिल हैं। ऑस्ट्रेलिया पिछले दो बार का चैंपियन है और वह खिताबी हैट्रिक बनाने के इरादे से उतरेगा।
टूर्नामेंट का फॉर्मेट दिलचस्प है। हर पूल में शीर्ष पर रहने वाली टीम सीधे क्वार्टर फाइनल में पहुंचेगी जबकि पूल में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाली टीम अन्य पूल की दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाली टीमों के साथ क्रॉसओवर मैच खेलेगी। क्रॉसओवर मैच जीतने वाली टीम फिर क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाली टीमों से भिड़ेगी।
विश्व रैंकिंग में पांचवें नंबर की टीम भारत की पूरी कोशिश रहेगी कि वह अपना पूल टॉप करे और सीधे क्वार्टर फाइनल में पहुंचे। लेकिन उसके रास्ते की सबसे बड़ी बाधा तीसरी रैंकिंग की टीम और ओलम्पिक रजत विजेता बेल्जियम रहेगी जो अपने पहले विश्व खिताब की तलाश में है। भारत के पूल की दो अन्य टीमें कनाडा विश्व रैंकिंग में 11वें और दक्षिण अफ्रीका 15वें नंबर पर हैं।
15 हजार दर्शकों की क्षमता वाले कलिंगा स्टेडियम में भारतीय टीम को आसमान गुंजायमान करने वाला समर्थन मिलेगा जो विपक्षी टीम का हौसला पस्त भी कर सकता है। भारत ने विश्व कप से पहले एक अभ्यास मैच में ओलम्पिक चैंपियन अर्जेंटीना को 5-0 से हराया था लेकिन अभ्यास मैच और विश्व कप मैच में काफी फासला होता है।
कोच हरेंद्र सिंह की भारतीय टीम एशियाई खेलों में अपना खिताब गंवाने और कांस्य पदक पर ठिठकने के बाद मनोवैज्ञानिक रूप से दबाव में रहेगी। भारतीय समर्थकों को टीम से पदक से कम कुछ भी मंजूर नहीं होगा। कोच हरेंद्र और टीम के कुछ खिलाड़ी दो साल पहले लखनऊ में जूनियर विश्व कप का खिताब जीतने वाली टीम का हिस्सा थे।
टीम को यह मालूम है कि टूर्नामेंट में अच्छी शुरुआत उनके लिए कामयाबी का रास्ता खोल सकती है। लेकिन कोच हरेंद्र चाहेंगे कि उनके खिलाड़ी इस बड़े मंच पर अपना सर्वश्रेष्ठ करें और माहौल को खुद पर हावी न होने दें।
कप्तान मनप्रीत सिंह पर करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों का दारोमदार रहेगा। 18 सदस्यीय भारतीय टीम के उपकप्तान चिंगलेनसाना सिंह कंगुजम हैं। भारतीय टीम के किले की जिम्मेदारी अनुभवी गोलकीपर और पूर्व कप्तान पीआर श्रीजेश पर है। टीम में दूसरे गोलकीपर कृष्ण बहादुर पाठक हैं।
ओडिशा के अनुभवी डिफेंडर बीरेंद्र लाकड़ा की टीम में वापसी हुई है। वह गत माह मस्कट में हुए एशियन चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर रहे थे और रिहैबिलिटेशन के बाद अपने ही राज्य के अमित रोहिदास, सुरेंद्र कुमार, कोठाजीत सिंह और जूनियर विश्वकप विजेता टीम के हरमनप्रीत सिंह के साथ भारत के डिफेंस को मजबूती देंगे।
मिडफील्ड में मनप्रीत से काफी उम्मीदें रहेंगी जो चैंपियंस ट्रॉफी में अहम रहे थे। चिंगलेन के अलावा युवा सुमित, नीलकंठ शर्मा और गत माह अंतरराष्ट्रीय पदार्पण करने वाले हार्दिक सिंह खेलेंगे। फारवर्ड लाइन में आकाशदीप सिंह, दिलप्रीत सिंह, ललित उपाध्याय और जूनियर विश्वकप के मनदीप सिंह और सिमरनजीत सिंह मौजूद रहेंगे। (वार्ता)