उन्होंने कहा, ओलंपिक आंदोलन के साथ भारत का जुड़ाव एक परिवर्तनकारी क्षण में है और यह प्रतिस्पर्धी खेलों से आगे बढ़कर ओलंपिकवाद की सच्ची भावना को अपनाता है जो खेलों के माध्यम से शांति, शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।
एशियाई ट्रैक एवं फील्ड में 1980 के दशक में अपना दबदबा बनाने वाली पूर्व एथलीट ने कहा, भारत (2036) ओलंपिक की मेजबानी करना चाहता है इसलिए हम केवल अपनी बुनियादी ढांचा क्षमताओं को ही मजबूत नहीं कर रहे हैं बल्कि अपनी बौद्धिक और शोध तैयारियों को भी मजबूत कर रहे हैं। (भाषा)