नई दिल्ली। ग्लास्गो में इस महीने होने वाली विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के लिए मजबूत भारतीय टीम की घोषणा की गई है, जिसका लक्ष्य इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में पहली बार स्वर्ण पदक जीतना होगा। भारत ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के इतिहास में अपना एक रजत और चार कांस्य पदक जीते हैं, लेकिन उसके हाथ कोई स्वर्ण पदक नहीं लगा है।
भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने इस साल लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है और उम्मीद की जा रही है कि विश्व बैडमिंटन में भारत के पहले स्वर्ण का सपना इस बार पूरा हो सकता है। भारत ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के इतिहास में अपना एक रजत और चार कांस्य पदक जीते हैं, लेकिन उसके हाथ कोई स्वर्ण पदक नहीं लगा है।
पुरुष एकल में भारत को एक कांस्य पदक, महिला एकल में एक रजत और दो कांस्य पदक तथा महिला युगल में एक कांस्य पदक जीता है। महान प्रकाश पादुकोण ने 1983 में कोपेनहेगन में हुई विश्व चैंपियनशिप में पुरुष एकल में कांस्य पदक जीता था। इसके बाद ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की जोड़ी ने 2011 में लंदन में हुई विश्व चैंपियनशिप में महिला युगल का कांस्य पदक जीता।
रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता पीवी सिंधू ने 2013 में ग्वांगझू में और 2014 में कोपेनहेगन में हुई विश्व चैंपियनशिप में लगातार कांस्य पदक जीते। पूर्व नंबर एक साइना नेहवाल ने 2015 में जकार्ता में हुई चैंपियनशिप में फाइनल में जगह बनाई, लेकिन उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
विश्व की पांचवें नंबर की खिलाड़ी और ओलंपिक पदक विजेता सिंधू को विश्व चैंपियनशिप में चौथी और श्रीकांत को आठवीं वरीयता दी गई है। सिंधू इस टूर्नामेंट में चौथी वरीय और भारत की उच्च रैंकिंग की भारतीय महिला खिलाड़ी होंगी, जबकि पुरुषों में आठवीं रैंकिंग के किदाम्बी श्रीकांत आठवीं वरीय खिलाड़ी के तौर पर उतरेंगे।
विश्व रैंकिंग में शीर्ष 10 में शामिल भारत के दोनों खिलाड़ियों को टूर्नामेंट में शीर्ष 10 वरीय खिलाड़ियों में शामिल किया गया है। महिलाओं में सिंधू के अलावा 16वीं रैंकिंग की साइना नेहवाल पर भी सभी की निगाहें रहेंगी, जो पिछले काफी समय से खराब फार्म से जूझ रही हैं। भारतीय बैडमिंटन संघ (बाई) ने टीम के साथ राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद सहित सात सदस्यीय कोचिंग स्टाफ रखा है। इनके साथ चार सदस्यीय सपोर्ट स्टाफ भी रहेगा।