भारतीय हॉकी टीम के मुख्य कोच शोर्ड मारिन नीदरलैंड में मानसिक अनुकूलन के विशेषज्ञ रह चुके हैं। उनकी इस खूबी का पूरा फायदा मनप्रीत सिंह एंड कंपनी को मिल रहा है, जिसने दुनिया की तीसरे नंबर की टीम और खिताब की प्रबल दावेदार मानी जा रही बेल्जियम को सडन डैथ में हराकर हॉकी विश्व लीग फाइनल के अंतिम चार में जगह बनाई।
सुनील ने कहा, बड़ी टीमों को हराने में हम पहले ही सक्षम थे लेकिन खुद को साबित नहीं कर सके थे। कल हमने इसे साबित किया कि टीम शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से कितनी मजबूत है। इस मानसिक मजबूती का राज पूछने पर उन्होंने कहा, कोच ने हमें नेशनल साकर लीग के प्रेरक वीडियो दिखाए।
उन्होंने कहा, हम भारत में कोई बड़ा टूर्नामेंट नहीं जीत सके हैं। अगर हम यह खिताब जीत सके तो अगले साल होने वाले बड़े टूर्नामेंटों के लिए आधार तैयार होगा और हॉकी को नए प्रशंसक भी मिलेंगे। नया कोचिंग स्टाफ सिर्फ पोडियम फिनिश से संतुष्ट नहीं होता बल्कि उसे हर टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक चाहिए। हम भी उसी लक्ष्य के लिए खेल रहे हैं।
उन्होंने बेल्जियम पर मिली जीत का श्रेय इसी मानसिकता को देते हुए कहा, हमें पता था कि अगर क्वार्टर फाइनल हार गए तो आगे कुछ नहीं बचेगा। हम इसे आखिरी मैच मानकर खेल रहे थे। दर्शकों ने भी पूरा साथ दिया और हमें बेल्जियम से रियो ओलंपिक क्वार्टर फाइनल की हार का बदला भी लेना था। (भाषा)