हॉकी में भारत के सामने दक्षिण कोरिया की चुनौती

सोमवार, 29 सितम्बर 2014 (10:44 IST)
इंचियोन। एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक का पिछले 16 साल का इंतजार खत्म करने की कवायद में लगी भारतीय पुरुष हॉकी टीम को मंगलवार को यहां होने वाले सेमीफाइनल में दक्षिण कोरिया की कड़ी चुनौती का सामना करना होगा।
 
सरदार सिंह की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने ग्रुप-बी में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से 1-2 से हारने के बाद अच्छी वापसी की और अपने चौथे व अंतिम लीग मैच में चीन को हराकर अंतिम चार में जगह बनायी। भारत ने एशियाई खेलों में आखिरी बार 1998 में बैंकाक एशियाई खेलों में धनराज पिल्लै की अगुवाई में स्वर्ण पदक जीता था।
 
टीम एक बार फिर से यही परिणाम दोहराने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि वह 2016 रियो ओलंपिक में सीधे प्रवेश पा सके। हालांकि इसके लिए उसे सभी विभागों में अच्छा प्रदर्शन करना होगा क्योंकि अब भी कुछ ऐसे विभाग हैं जिनमें टीम अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई है।
 
भारतीय रक्षापंक्ति तेजतर्रार हमलों का सामना करने में नाकाम रही है। पाकिस्तान के खिलाफ मैच में इसी कमजोरी के कारण टीम को हार झेलनी पड़ी थी। अग्रिम पंक्ति भी अपना वास्तविक जज्बा दिखाने में नाकाम रही है जबकि मध्यपंक्ति के खिलाड़ी वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं जैसे कि उनसे उम्मीद की जा रही थी।
 
भारत मैच में बढ़त हासिल करने के लिए पेनल्टी कार्नर पर निर्भर रहा है जो कि खतरनाक चलन रहा है। यही नहीं स्टार ड्रैग फ्लिकर रूपिंदरपाल सिंह ओमान के खिलाफ दूसरे मैच में चोटिल हो गए थे और वह वास्तव में अपनी सर्वश्रेष्ठ फार्म में नहीं हैं। ऐसे में टीम का दारोमदार वी आर रघुनाथ पर टिक जाता है जो अभी तक टुकड़ों में ही अच्छा प्रदर्शन कर पाए हैं।
 
भारतीय टीम आखिरी क्षणों में चूक रही है और खिलाड़ी मौका मिलने पर विरोधी टीम की रक्षापंक्ति में सेंध लगाने में नाकाम रहे हैं। रूपिंदर अब भी टीम की तरफ से सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी हैं। उन्होंने छह गोल किए हैं। उन्होंने ये सभी गोल पहले दो मैचों में किए। रघुनाथ ने पेनल्टी कार्नर और पेनल्टी स्ट्रोक पर पांच गोल दागे हैं।
 
चार बार के स्वर्ण पदक विजेता कोरिया को हल्के से नहीं लिया जा सकता है। उसने अभी मैदानी गोल और पेनल्टी कार्नर को गोल करने की अपनी दक्षता का अच्छा परिचय दिया है। ड्रैग फ्लिक विशेषज्ञ जंग जानयुन अभी तक पेनल्टी कार्नर पर पांच गोल कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने एक मैदानी गोल किया है जबकि एक गोल पेनल्टी स्ट्रोक पर दागा है।
 
वह टूर्नामेंट में अभी सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी हैं। अग्रिम पंक्ति के एक अन्य खिलाड़ी नैम ह्यूनवू भारतीय रक्षापंक्ति के लिये असली खतरा है। भारतीय रक्षकों को उन्हें अच्छी तरह से घेरे रखना होगा क्योंकि उन्हें जब भी मौका मिलता है तब वे गोल करने से नहीं चूकते। उन्होंने अब तक छह मैदानी गोल दागे हैं।
 
उन्हें अग्रिम पंक्ति में यू मायोसिक (चार मैदानी गोल) से अच्छी मदद मिली है और ऐसे में भारतीय रक्षापंक्ति की असली परीक्षा कल होगी क्योंकि इन अपनी फुर्ती और तेजी के लिए मशहूर इन दोनों खिलाड़ियों को रोकना आसान नहीं होता है। भारतीय टीम को उम्मीद है कि रक्षापंक्ति कोरियाई चुनौती का डटकर सामना करके भारत को 12वीं बार एशियाड फाइनल में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएगी। (भाषा)

वेबदुनिया पर पढ़ें