कृशन बहादुर पाठक को पता है कि पी आर श्रीजेश द्वारा कायम किये गए ऊंचे मानदंडों के मद्देनजर भारतीय हॉकी टीम का नया प्रमुख गोलकीपर बनना आसान नहीं होगा लेकिन उनका मानना है कि प्रतिबद्धता और अनुशासन से वह अपेक्षाओं पर खरे उतरने में सफल होंगे ।
पंजाब के कपूरथला में जन्मे नेपाली मूल के 27 वर्षीय पाठक 2018 में पदार्पण के बाद से भारत के लिये 125 मैच खेल चुके हैं।पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद जब श्रीजेश ने हॉकी को अलविदा कहा , तब पाठक पहली पसंद के नियमित गोलकीपर बने।
पाठक ने PTI (भाषा ) से कहा , अच्छा लग रहा है कि अब मैं मुख्य गोलकीपर हूं। लेकिन इसके साथ अतिरिक्त जिम्मेदारी भी है। मैने श्री भाई (श्रीजेश) से बहुत कुछ सीखा है। मैं पिछले साल से उनके साथ था और उनकी जगह लेना बहुत अच्छा लग रहा है।
भारतीय टीम अब आठ सितंबर से चीन में एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी खेलेगी।पाठक ने कहा , श्री भाई की जगह लेना बहुत मुश्किल है क्योंकि वह 20 . 22 साल खेलकर इस मुकाम तक पहुंचे। मैं उनके बनाये मानदंडों पर खरा उतरना चाहूंगा । यह मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं।
उन्होंने कहा , हमें उस मुकाम तक पहुंचने में समय लगेगा। यह आसान नहीं है। हमें फोकस, प्रतिबद्धता और अनुशासन बनाये रखना होगा । ऐसा करने पर ही यह संभव होगा।
VIDEO | "He (PR Sreejesh) just told me to play normal hockey the way you used to play with me. Keep playing with confidence in tournaments. He said 'if you need any help or advice, I am always there for you'," Indian hockey player Krishan Bahadur Pathak tells PTI.
उन्होंने कहा ,उन्होंने (श्रीजेश ) मुझे अपना स्वाभाविक खेल दिखाने को कहा। उन्होंने कहा कि अगर कोई भी मदद या सलाह चाहिये तो वह हमेशा तैयार हैं।
श्रीजेश ने उन्हें एक लक्ष्य भी दिया है .. लॉस एंजिलिस ओलंपिक 2028 में स्वर्ण पदक जीतने का।पाठक ने कहा , वह ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतना चाहते थे लेकिन वह इच्छा अधूरी रह गई । उन्होंने हमें यह सपना पूरा करने की जिम्मेदारी दी है। श्री भाई ने यह भी कहा है कि हमने बरसों से विश्व कप नहीं जीता तो मैं उनके लिये जीतना चाहता हूं।
पाठक ने भारतीय पुरूष टीम के पूर्व कोच और महिला टीम के मौजूदा कोच हरेंद्र सिंह को भी अपने कैरियर को निखारने का श्रेय दिया।
उन्होंने कहा , हरेंद्र भाई ने मेरी काफी मदद की। 2015 में जब लंदन दौरे के लिये मेरा चयन हुआ तब जुलाई में नेपाल में दिल का दौरा पड़ने से मेरे पिता का निधन हो गया था। मैं दुविधा में था लेकिन हैरी सर और मेरे परिवार ने मेरा साथ दिया। हैरी सर ने कहा कि नेपाल जाकर अंतिम संस्कार करके लौट आऊं , टीम में मेरी जगह सुरक्षित रहेगी।