ओलंपिक खेलों में भारतीय टीम के दूसरे कांस्य पदक जीतने के बाद कई मौजूदा और पूर्व खिलाड़ियों ने कहा था कि अगर देश को अंतरराष्ट्रीय हॉकी में लगातार जीत हासिल करनी है तो खिलाड़ियों को मैदानी गोल की संख्या में इजाफा करना होगा।
भारतीय टीम ने चीन के हुलुनबुइर में एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में रिकॉर्ड पांचवीं बार खिताब जीतकर जवाब दिया कि अब ऐसा नहीं है क्योंकि टीम ने पूरे टूर्नामेंट के दौरान एक भी मैच नहीं गंवाया।
हरमनप्रीत सिंह और उनके साथी खिलाड़ियों ने इस शानदार अभियान के दौरान टूर्नामेंट में कुल 26 में से 18 मैदानी गोल दागे।इस मामले में यह पेरिस ओलंपिक अभियान से काफी सुधरा प्रदर्शन था क्योंकि उसमें भारत ने कुल 15 गोल दागे थे जबकि सिर्फ तीन मैदानी गोल हुए थे।
पेरिस ओलंपिक के बाद संन्यास लेने वाले करिश्माई गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने ज्यादा मैदानी गोल की जरूरत पर जोर दिया था।भारत के मुख्य कोच क्रेग फुल्टन ने एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी के लिए अपेक्षाकृत युवा टीम उतारी थी जबकि मंदीप सिंह, गुरजंत सिंह और ललित कुमार उपाध्याय जैसे अनुभवी फॉरवर्ड को आराम दिया।
पेरिस ओलंपिक टीम में शामिल केवल दो स्ट्राइकर अभिषेक और सुखजीत सिंह को ही टीम में बरकरार रख गया था। फुल्टन ने पूर्व जूनियर टीम के कप्तान उत्तम सिंह, अराईजीत सिंह हुंडाल और गुरजोत सिंह जैसे युवा खिलाड़ियों को टीम में शामिल किया।
और इन नये खिलाड़ियों ने भी निराश नहीं किया। बल्कि युवा अग्रिम पंक्ति ने 11 मैदानी गोल किए।
उत्तम ने टूर्नामेंट में तीन मैदानी और एक पेनल्टी कॉर्नर से कुल चार गोल दागे। हुंडाल (तीन), सुखजीत (तीन) और अभिषेक (दो) ने भी योगदान दिया।
इतना ही काफी नहीं था क्योंकि सबसे शानदार प्रदर्शन कप्तान और ड्रैग-फ्लिकर हरमनप्रीत (दो) और डिफेंडर जुगराज सिंह (एक) का रहा।
हरमनप्रीत टूर्नामेंट में चीन के जिहुन यांग (नौ) के बाद दूसरे सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी रहे। उन्होंने सात गोल किए जिनमें से पांच पेनल्टी कॉर्नर से आए।
जुगराज ने भी दो गोल किए जिसमें एक पेनल्टी कॉर्नर से और दूसरे मैदानी गोल से भारत मंगलवार को मेजबान चीन पर 1-0 से जीत दर्ज कर खिताब जीतने में सफल रहा।
भारतीय कोचिंग स्टाफ के लिए खुशी की बात यह रही कि युवा मिडफील्डर राज कुमार पाल ने टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया और तीन मैदानी गोल किए जबकि डिफेंडर जरमनप्रीत सिंह ने भी एक गोल किया।
भारत ने छह टीमों की प्रतियोगिता में सबसे ज्यादा 26 गोल किए। उसके बाद चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान (18), कोरिया (17), मलेशिया (17), जापान (15) और चीन (10) रहे। यह काफी सुधरा प्रदर्शन रहा और फुल्टन को उम्मीद है कि आगामी टूर्नामेंटों में भी यह चलन जारी रहेगा।