10 साल बाद मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में खेली जाएगी हॉकी, कहा जाता है हॉकी का मंदिर

WD Sports Desk

गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024 (14:45 IST)
पिछले एक दशक से खाली पड़ी कुर्सियों और मैदान के साथ बाहर लगी मेजर ध्यानचंद की आदमकद प्रतिमा को भी उनके नाम पर बने स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय हॉकी की वापसी का इंतजार था ।

तमाम आधुनिक सुविधायें, एक मुख्य पिच और दो अभ्यास पिच, नीली एस्ट्रो टर्फ, 16,200 दर्शक क्षमता और लुटियंस दिल्ली इलाका। यह यकीन करना मुश्किल है कि यहां दस साल से अंतरराष्ट्रीय हॉकी नहीं हुई लेकिन ओडिशा सरकार के हॉकी का प्रायोजक बनने के बाद से भुवनेश्वर और राउरकेला भारत में अंतरराष्ट्रीय हॉकी के गढ़ बन गए और विश्व कप, प्रो लीग, चैम्पियंस ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट वहीं हुए।

‘भारतीय हॉकी का मंदिर’ कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम पर 23 और 24 अक्टूबर को जर्मनी के खिलाफ दो मैचों के साथ ही बरसों की बेनूरी खत्म होगी । दिल्ली के दिल में बने इस ऐतिहासिक स्टेडियम में हॉकी की वापसी को लेकर यहां अकादमी में खेलने वाले बच्चों के साथ पूर्व खिलाड़ियों, कोच, प्रशासकों में भी काफी उत्साह है ।

हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की ने कहा कि तोक्यो और पेरिस ओलंपिक में भारतीय पुरूष टीम के कांस्य पदक जीतने के बाद हॉकी की लोकप्रियता जिस तरह से बढ़ी है, उससे उन्हें यकीन है कि करीब 16,000 दर्शकों की क्षमता वाला यह स्टेडियम खचाखच भरा होगा ।

टिर्की ने भाषा से कहा,‘‘ दिल्ली में पहले काफी शानदार तरीके से घरेलू टूर्नामेंट होते थे। मैंने भी इंदिरा गांधी गोल्ड कप 1995 के जरिये दिल्ली में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण किया था। यहां काफी संख्या में दर्शक आते थे और हम भी चाहते हैं कि हॉकी की वह रौनक दिल्ली में लौटे ।

उन्होंने कहा,‘‘ तोक्यो और पेरिस ओलंपिक के बाद हॉकी की लोकप्रियता कई गुना बढ़ी है और अब स्टेडियम को दर्शकों का इंतजार रहेगा ।’’

इसी मैदान पर जब भारत ने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को विश्व कप 2010 और उसी साल राष्ट्रमंडल खेलों में हराया था तो खचाखच भरे स्टेडियम में जज्बात का सैलाब उमड़ पड़ा था।

भावनगर के महाराजा की ओर से दिल्ली को तोहफे में मिला नेशनल स्टेडियम (पूर्व नाम इरविन एम्पीथिएटर) 1951 में पहले एशियाई खेलों का गवाह बना और 1982 के एशियाई खेलों के हॉकी फाइनल में पाकिस्तान से मिली हार के बाद खिलाड़ियों के आंसू भी यहीं पर गिरे। इसी मैदान पर आस्ट्रेलिया ने 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में भारतीय हॉकी के सीने पर आठ गोल दागे थे ।

Watch: "When I first came to play in 1970 it was at the Major Dhyanchand Stadium (then national stadium). I feel connected to the stadium and with the bilateral series starting I hope the fans in Delhi come in numbers to watch India face Germany," said Ashok Kumar Dhyanchand pic.twitter.com/JzCClSDgjZ

— IANS (@ians_india) October 4, 2024
यहां आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच 2014 हीरो विश्व लीग फाइनल हुआ था। संस्थानों की अंतर विभागीय हॉकी यदा कदा यहां होती रही है ।

भारतीय जूनियर और महिला हॉकी टीम के पूर्व कोच और नेशनल स्टेडियम के पूर्व प्रशासक रहे अजय कुमार बंसल ने कहा,‘‘ 2010 विश्व कप के दौरान मैं यहां अधिकारी था और देश भर से लोग यहां मैच देखने आये थे ।अलग ही माहौल था।’’

उन्होंने कहा,‘‘ पिछले कुछ साल से ओडिशा में हॉकी हो रही थी जिससे वहां खेल का ग्राफ काफी ऊपर गया और इसके उलट दिल्ली में हॉकी नहीं होने से वह नीचे चला गया । युवाओं ने यहां हॉकी का कोई बड़ा टूर्नामेंट देखा ही नहीं तो उनका रूझान कम हो गया।’’

उन्होंने कहा,‘‘इसके अलावा टूर्नामेंट नहीं होने से स्टेडियम के रख रखाव पर भी असर पड़ता है। मैं चाहता हूं कि हॉकी इंडिया लीग में भी अगली बार से दिल्ली, पंजाब ,हरियाणा समेत चार पांच और वेन्यू शामिल किये जायें।’’

भारत के विश्व कप विजेता पूर्व कप्तान अजितपाल सिंह का मानना है कि भारत में हॉकी के जितने पॉकेट्स हैं, उन सभी जगहों पर बड़ी टीमों से मुकाबले खेले जाने चाहिये ।

उन्होंने कहा,‘‘ओडिशा में दो विश्व कप, एफआईएच प्रो लीग, चैम्पियंस ट्रॉफी सभी कुछ हुआ लेकिन दिल्ली में बड़ा मैच बरसों बाद हो रहा है। पहले शिवाजी स्टेडियम में काफी टेस्ट मैच होते थे। मुझे लगता है कि सभी जगहों पर अच्छे मैच होने जरूरी है।’’

उन्होंने कहा,‘‘ भारत में हॉकी के कई पॉकेट्स हैं जैसे पंजाब, हरियाणा, यूपी, कर्नाटक, तमिलनाडु से कई बेहतरीन खिलाड़ी निकले हैं। ओडिशा और झारखंड में तो हॉकी का क्रेज है ही लेकिन बाकी प्रदेशों में भी बड़े मैच कराये जाना जरूरी है ।’’

ध्यानचंद स्टेडियम के अधिकारियों ने तैयारियों का ब्यौरा देते हुए बताया कि जर्मन मशीनों से मुख्य पिच और अभ्यास पिचों पर एस्ट्रो टर्फ की सफाई का काम एक सप्ताह से चल रहा था जो पूरा हो गया है। प्रतिवर्ष 30 लाख रूपये दोनों टर्फ के रख रखाव पर खर्च होता है।

उन्होंने बताया कि दर्शक दीर्घाओं,चेंज रूम, ड्रेसिंग रूम, बाहर का परिसर सभी की सफाई हो गई है। अपग्रेड की जरूरत नहीं है क्योंकि वैसे भी यह विश्व स्तरीय स्टेडियम है जिसमें विश्व कप और राष्ट्रमंडल खेल का आयोजन हो चुका है ।

यहां भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की हॉकी अकादमी स्थित है जिसमें नियमित अभ्यास होता है। इसके अलावा साइ की ‘कम एंड प्ले’ योजना के तहत कुछ बच्चे आकर हॉकी खेलते हैं जो इन मैचों को लेकर काफी उत्साहित हैं।(भाषा)

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