नरसिंह डोप टेस्ट में नाकाम, रियो ओलंपिक में भागीदारी संदिग्ध

रविवार, 24 जुलाई 2016 (22:00 IST)
नई दिल्ली। भारत की ओलंपिक तैयारियों को रविवार को करारा झटका लगा, जब सुशील कुमार पर तरजीह देकर चुने गए पहलवान नरसिंह यादव डोप टेस्ट में नाकाम रहे लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके ओलंपिक प्रतिनिधित्व को खतरे में डालने वाला यह प्रकरण उनके खिलाफ साजिश है।
राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी (नाडा) के महानिदेशक नवीन अग्रवाल ने इसकी पुष्टि की कि नरसिंह को प्रतिबंधित पदार्थ के लिए पॉजीटिव पाया गया है और कल वे नाडा के अनुशासनात्मक पैनल के समक्ष पेश हुए। 
 
सूत्रों ने बताया कि उन्‍हें प्रतिबंधित अनाबालिक स्टेरायड मेथांडिएनोन के सेवन का दोषी पाया गया। नाडा महानिदेशक ने कहा, हां, वे (नरसिंह) प्रतिबंधित स्टेरायड के लिए पॉजीटिव पाए गए हैं। उनका बी नमूना भी पॉजीटिव निकला। जब उसका बी नमूना खोला गया तब वे खुद भी मौजूद थे। 
 
उन्होंने कहा, वे कल अनुशासन पैनल के सामने पेश हुए। पैनल ने इस मामले पर और रिपोर्ट मांगी है। मुझे उम्मीद है कि पैनल जल्दी कार्रवाई करेगा। हमें तब तक इंतजार करना होगा। यह पूछने पर कि क्या नरसिंह रियो ओलंपिक में नहीं खेल सकेंगे, अग्रवाल ने कहा, अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। हम जल्दी ही प्रक्रिया पूरी करने की कोशिश करेंगे। मैं अभी कोई कयास नहीं लगा सकता। 
 
दूसरी तरफ नरसिंह ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि यह प्रकरण उनके खिलाफ साजिश है। नरसिंह ने बयान जारी करके कहा, मेरा मानना है कि यह मेरे खिलाफ साजिश है। मैंने कभी कोई प्रतिबंधित पदार्थ नहीं लिया। किसी ने मेरे भोजन और पानी में कुछ पदार्थ मिलाया। 
 
नरसिंह ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैंने अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक प्रतियोगिता में पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ हिस्सा लिया है और मैं ऐसा आगे भी जारी रखूंगा। मैं एक जिम्मेदार खिलाड़ी हूं और देश की अपेक्षाओं और मेरे से लगाई गई उम्मीदों के बारे में जानता हूं। मैंने कभी इस उम्मीद से धोखाधड़ी करने का सपना नहीं देखा।  
 
भारतीय कुश्ती महासंघ ने इस पूरे घटनाक्रम को साजिश बताया। उसके एक अधिकारी ने कहा, इसमें कोई साजिश है। नरसिंह का साफ-सुथरा इतिहास रहा है। उसके खिलाफ साजिश की गई है। 74 किलो वर्ग में नुमाइंदगी का फैसला बाद में किया जाएगा, लेकिन लगता है कि रियो में 74 किलो वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व नहीं होगा। 
 
नरसिंह को अस्थाई तौर पर निलंबित कर दिया गया है। पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाले नरसिंह का रियो ओलंपिक के लिए चयन विवादित हालात में हुआ था, क्योंकि ओलंपिक के दोहरे पदक विजेता सुशील ने 74 किलो वर्ग में दावेदारी ठोकी थी और ट्रायल की मांग की थी। 
 
नरसिंह ने चूंकि विश्व चैम्पियनशिप के जरिए कोटा हासिल किया था इसलिए डब्ल्यूएफआई और दिल्ली उच्च न्यायालय दोनों ने सुशील की मांग खारिज कर दी। इस मामले में अब तक कोई औपचारिक बयान जारी नहीं करने वाले सुशील ने हालांकि यह विवाद सामने आने के बाद ट्वीट करते हुए कहा, सम्मान मांगा नहीं जाता, इसे कमाना पड़ता है। 
 
विश्व चैम्पियनशिप के पूर्व पदक विजेता सुशील ने हालांकि यह साफ नहीं किया कि उन्होंने किसके लिए और असल में किस संदर्भ में यह ट्वीट किया। नरसिंह को ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए सुशील के साथ लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी थी। खेल मंत्रालय ने भी बयान जारी करके इसकी पुष्टि की कि एक पहलवान डोप टेस्ट में नाकाम रहा है लेकिन इसने यादव का नाम नहीं लिया।
 
मंत्रालय ने कहा, एक पहलवान को राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी ने डोप टेस्ट में पॉजीटिव पाया है। नाडा का डोपिंग निरोधक अनुशासन पैनल मामले की सुनवाई कर रहा है। कल इसकी पहली सुनवाई हुई जिसके तहत पहलवान को अपने बचाव का मौका दिया गया। इसमें कहा गया, सुनवाई के बाद पैनल ने नाडा से कुछ और रिपोर्ट मांगी हैं। 
 
रिपोर्ट मिलने पर आगे सुनवाई की जाएगी। एडीडीपी के अध्यक्ष कानून विशेषज्ञ हैं जिसमें डॉक्टर और खिलाड़ी भी शामिल हैं। नाडा युवा कार्य और खेल मंत्रालय के तहत स्वायत्त ईकाई है जो खेलों में डोपिंग की जांच करती है। इसमें कहा गया, भारत विश्व डोपिंग निरोधक आचार संहिता को लेकर प्रतिबद्ध है और प्रक्रिया का पालन करता है। सरकार नाडा के दैनंदिनी काम में दखल नहीं देती और डोपिंग से जुड़े मामलों में पूरी पारदर्शिता तथा निष्पक्षता बरतती है। 
 
भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव राजीव मेहता ने इस बात से इनकार किया कि पूरे मामले से सुशील को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि ओलंपिक के लिए प्रविष्टियां भेजने की आखिरी तारीख 18 जुलाई थी जो बीत चुकी है। उन्होंने कहा, जहां तक सुशील कुमार की बात है तो उसके लिए नरसिंह की जगह जाने का कोई मौका नहीं है। खिलाड़ियों की प्रविष्टि की समय सीमा निकल चुकी है।
 
डब्ल्यूएफआई सूत्रों ने कहा कि नरसिंह को सोनीपत में अभ्‍यास शिविर में भी भाग नहीं लेने के लिए कहा गया था लेकिन इसके बावजूद उसने भाग लिया। नरसिंह के प्रायोजक जेएसडब्ल्यू स्पोर्ट्स ने भी उसका समर्थन करते हुए कहा, कोई गंदा खेल खेल रहा है। वह भारत की पदक उम्मीद है लेकिन वह पूरी तरह हिल चुका है। 
 
डब्ल्यूएफआई सूत्रों ने कहा कि यह दुखद है कि भारत में हम अपने खिलाड़ियों को शांति से अभ्‍यास भी नहीं करने दे सकते। सुशील के मेंटर सतपाल सिंह ने हालांकि इस पूरे विवाद पर निराशा जताई है और कहा है कि अगर ओलंपिक में जरूरत पड़ी तो सुशील इसके लिए तैयार है। (भाषा) 

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