इस 20 वर्षीय एथलीट ने कहा कि यह आसान नहीं था। अच्छे थ्रोअर भी थे लेकिन वे बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए। मैंने बहुत अच्छी तैयारी की थी और एशियाई रिकॉर्ड बनाना चाहता था लेकिन भाले की लंबाई मसला था और इस वजह से मैं इच्छित दूरी हासिल नहीं कर पाया। एशियाई खेलों का रिकॉर्ड 89.75 मीटर का है, जो चीन के झाओ क्विंगगैंग ने 2014 में इंचियोन एशियाई खेलों में बनाया था।
नीरज ने कहा कि लेकिन मैं फिर भी राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाने में सफल रहा और मैं खुश हूं। मैं आगे इसमें सुधार करने की कोशिश करूंगा। अपने राष्ट्रीय रिकॉर्ड के बारे में उन्होंने कहा कि एक सफल थ्रो के लिए कई चीजों की जरूरत पड़ती है। जब आपकी तकनीक और स्पीड अच्छी होती है तो आप अच्छी थ्रो करते हो और ऐसा तीसरे प्रयास में हुआ।
नीरज ने कहा कि एशियाई खेलों में आने से पहले उन्होंने अपने लिए कोई खास लक्ष्य नहीं बनाया था। मैं लक्ष्य तय करके खुद पर दबाव नहीं बनाता। मेरे पास विश्व जूनियर चैंपियनशिप, एशियाई चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक हैं लेकिन यह मेरा अब तक का सबसे बड़ा पदक है। विश्व चैंपियनशिप का स्वर्ण जूनियर स्तर पर आया था और इसलिए यह सबसे बड़ा पदक है।
नीरज ने कहा कि हाल में अपने पूर्व कोच गैरी कालवर्ट के निधन से वे दुखी थे और उन्होंने (कालवर्ट) कहा था कि वे मुझसे एशियाई खेलों में मिलेंगे। मैं तब फिनलैंड में था, जब मुझे उनके निधन की खबर मिली। मैं क्या कर सकता हूं, यह प्रभु की इच्छा थी। हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। चोपड़ा अब ज्यूरिख में 30 अगस्त को डायमंड लीग फाइनल में खेलेंगे।