दूसरी बार विश्व चैंपियनशिप जीतने वाली दूसरी मुक्केबाज बनी निकहत जरीन, पहली ने पूछा था कौन है यह लड़की?
सोमवार, 27 मार्च 2023 (13:34 IST)
नई दिल्ली:एमसी मैरीकॉम ने एक बार गुस्से से पूछा था, निकहत जरीन कौन है? निकहत ने 2022 में विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इस सवाल का जवाब दिया था। और अब रविवार को एक बार फिर उन्होंने अपना दूसरा विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीत लिया, वो भी घरेलू दर्शकों के सामने जिससे वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले दूसरी भारतीय मुक्केबाज बनीं।
इसके साथ ही वह छह बार की विश्व चैम्पियन मैरीकॉम के उत्तराधिकारी के तौर पर आगे बढ़ती दिख रही हैं।निकहत ने 50 किग्रा वजन वर्ग का खिताब जीतने के बाद कहा, मैं दूसरी बार विश्व चैम्पियन बनकर खुश हूं वो भी ओलंपिक वजन वर्ग और घरेलू दर्शकों के सामने। यह पदक सभी समर्थकों के लिए है।
निकहत के लिये यह दूसरा खिताब भावनात्मक रहा क्योंकि इस सफर में इस 26 साल की मुक्केबाज को ताने, सामाजिक पूर्वाग्रह और उपेक्षा का सामना करना पड़ा। जहां तक मैरीकॉम का संबंध है तो उन्हें नहीं लगा होगा कि चार साल में निकहत उनके नक्शेकदमों पर चलते हुए उनके बाद एक से ज्यादा विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय बन जायेंगी।
पिता बनाना चाहते थे धावक
निकहत के पिता उन्हें धावक बनाना चाहते थे लेकिन उनकी बेटी ने मुक्केबाजी में आने फैसला किया ताकि वह साबित कर सकें कि महिलायें भी इस खेल में अच्छा कर सकती हैं।तेलंगाना के निजामाबाद में मुस्लिम परिवार से आकर मुक्केबाजी की ड्रेस टी शर्ट और शॉर्ट में खेलने से निकहत और उनके माता-पिता को तानों और टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने इन पर ध्यान नहीं दिया।
एक दशक पहले जूनियर विश्व चैम्पियनशिप का खिताब जीतने के बाद निकहत का कंधा बाउट के दौरान उतर गया जिससे उन्हें करीब एक साल तक रिंग से दूर रहना पड़ा।लेकिन वह एलीट स्तर पर खुद को साबित करने के लिये जी जान से जुटी रहीं और उन्होंने शानदार वापसी की।उन्होंने 2019 में स्ट्रैंड्जा मेमोरियल में स्वर्ण पदक और थाईलैंड ओपन में रजत पदक जीता। लेकिन इंडिया ओपन में वह महिला मुक्केबाजी के इतिहास की सबसे महान मुक्केबाज मैरीकॉम को नहीं हरा सकीं।
मैरी कॉम से हारी थी एकतरफा मुकाबला
भारतीय मुक्केबाजी महासंघ ने 2019 विश्व चैम्पियनशिप से पहले ट्रायल करने से इनकार कर दिया जिसने मैरीकॉम के निरंतर प्रदर्शन के कारण उन्हें ही चुनने का फैसला किया और मणिुपर की मुक्केबाज ने भी अपना आठवां विश्व चैम्पियनशिप पदक जीता।जब बीएफआई ने मैरीकॉम को उनके विश्व चैम्पियनशिप कांस्य पदक पदर्शन की वजह से तोक्यो ओलंपिक क्वालीफायर के लिए भेजने का फैसला किया तो निकहत ने तब के खेल मंत्री किरेन रीजीजू से एक निष्पक्ष ट्रायल करने की मांग रखी।
निकहत की अनुरोध को स्वीकार करते हुए ट्रायल की घोषणा हुई लेकिन यह युवा मुक्केबाज अपने से अनुभवी मैरीकॉम से एक तरफा मुकाबले में हार गयी।लेकिन यह घटना भी निकहत के जज्बे को कम नहीं कर सकी और इस मुक्केबाज ने इसके बाद मिले मौकों का पूरा फायदा उठाते हुए यहां तक का सफर तय किया।
निकहत की शुरूआती जीत के बाद लोगों ने उन्हें मैरीकॉम का उत्तराधिकारी बनने की संभावना जतायी और हाल की जीत से यह मजबूत ही होती दिख रही है।वह अक्टूबर 2021 के बाद से बेहतरीन फॉर्म में है। उन्होंने तब से एक भी मुकाबला नहीं गंवया है, उन्होंने दो राष्ट्रीय चैम्पियनशिप खिताब जीते, 2022 स्ट्रैंड्जा मेमोरियल, 2022 विश्व चैम्पियनशिप, सारे चयन ट्रायल और राष्ट्रमंडल खेल में जीत हासिल की।पिछले साल इस्तांबुल में उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में चार साल बाद भारत को स्वर्ण पदक दिलाया।
विश्व चैम्पियनशिप के अनुभव का फायदा उठाकर ओलंपिक कोटा हासिल करना चाहती हैं निकहत
निकहत जरीन ने दूसरी बार विश्व चैम्पियनशिप खिताब हासिल करने के बाद कहा कि रविवार को समाप्त हुई वैश्विक प्रतियोगिता में मिले अनुभव का फायदा उठाकर वह इस साल के अंत में होने वाले एशियाई खेलों से 2024 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना चाहती हैं।एशियाई खेल महाद्वीप के मुक्केबाजों के लिये पेरिस ओलंपिक के लिए पहला क्वालीफाइंग टूर्नामेंट है।निकहत ने पिछले साल 52 किग्रा में विश्व खिताब जीता था, अब 50 किग्रा वजन वर्ग में वह दूसरी बार विश्व चैम्पियन बनीं जो ओलंपिक वर्ग है।
निकहत ने कहा, यह टूर्नामेंट अच्छा अनुभव था। विशेषकर 50 किग्रा वर्ग में, जो ओलंपिक वर्ग है। मुझे वरीयता भी नहीं मिली थी जिससे मुझे छह मुकाबले लड़ने पड़े। लेकिन अंत में मैंने यहां स्वर्ण पदक जीता जिससे मैं बहुत खुश हूं। इस 50 किग्रा वजन वर्ग में विश्व चैम्पियनशिप निकहत का दूसरा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था। उन्होंने पिछले साल इसी वजन वर्ग में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था।निकहत ने कहा, मेरे लिये इस वजन वर्ग में राष्ट्रमंडल खेलों के बाद यह बड़ा टूर्नामेंट है। राष्ट्रमंडल खेलों में इतनी प्रतिस्पर्धा नहीं होती। उन्होंने कहा, यहां पूरी दुनिया से देश आते हैं और मेरे लगातार मैच थे जिससे कुछ मैचों में मैं थोड़ी धीमी भी थी। मैं इन अनुभवों से सीख लूंगी और मजबूत बनने की कोशिश करूंगी।
निकहत छह बार की विश्व चैम्पियन एमसी मैरीकॉम के बाद दो विश्व खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय मुक्केबाज हैं।उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि मैंने लगातार स्वर्ण पदक जीते और इस जीत की लय को जारी रखकर खुश हूं। एशियाई खेल भी जल्द होने वाले हैं और लोगों की निश्चित रूप से उम्मीदें हैं लेकिन मैं इस दबाव को सकारात्मक तरीके से लूंगी। जो भी नतीजा होगा मेरे लिए अच्छा सबक रहेगा। (भाषा)