कभी जीता था भारत के लिए ओलंपिक मेडल अब कोच का भी पद नहीं मिलने से स्तब्ध हुआ यह पुलिस उपाधीक्षक

सोमवार, 24 जुलाई 2023 (15:49 IST)
ओलंपिक रजत पदक विजेता पिस्टल निशानेबाज Vijay Kumar विजय कुमार ‘स्तब्ध’ हैं कि भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) ने हाई परफोर्मेंस कोच के पद के लिए उनके नाम की अनदेखी की और उन्हें इस बारे में सूचित करने की जरूरत भी नहीं समझी गई।

साइ ने 21 जुलाई को अधिसूचना जारी करके एथलेटिक्स, निशानेबाजी, तलवारबाजी, कबड्डी और तीरंदाजी में पांच हाई परफोर्मेंस कोच की नियुक्ति की।साइ ने फरवरी-मार्च में इस पद के लिए विज्ञापन दिया था और 2012 लंदन ओलंपिक खेलों के रजत पदक विजेता तथा पांच बार के राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता विजय ने पद के लिए आवेदन किया था।

साइ ने इस पद के लिए राइफल कोच मनोज कुमार के नाम की सिफारिश की है जो पेरिस ओलंपिक निशानेबाजी रेंज में ट्रेनिंग कर रही भारतीय टीम के साथ जुड़े हुए हैं।

Had the privilege to meet Sh Vijay Kumar, Olympic Silver Medalist who has done the country and the state proud ! ⁦@himachalpolice⁩ All the best ! Jai Hindpic.twitter.com/jkdRXER1Cv

— Anurag Chander (@anurag_chander) February 22, 2021
हिमाचल प्रदेश पुलिस में उपाधीक्षक विजय ने कहा, ‘‘मैंने पद (परफोर्मेंस कोच) के लिए आवेदन किया था। इस तरह की अटकलें थी कि साक्षात्कार हुए हैं (पद के लिए)। आज किसी ने फोन पर बताया कि सूची जारी हो गई है। जब मैंने सूची देखी (साइ की वेबसाइट पर) तो मैं हैरान और स्तब्ध था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उनकी (साइ की) पात्रता में मैं पूरी तरह फिट था। इसमें कहा गया था कि अगर आप ओलंपिक पदक विजेता हैं तो आपको सीधे नियुक्ति मिलेगी। जहां तक मुझे पता है, मेरे अलावा किसी अन्य ओलंपिक पदक विजेता ने प्रतिनियुक्ति के आधार पर पद के लिए आवेदन नहीं किया था।’’

विजय ने कहा, ‘‘पहले हाई परफोर्मेंस कोच की नियुक्ति अनुबंध के आधार पर होती थी लेकिन हाल में साइ ने अन्य संस्थानों से विशेषज्ञों के लिए प्रतिनियुक्ति के आधार पर जुड़ने और अपनी सेवाएं देने का रास्ता खोला है। इसलिए इस आधार पर मैंने पद के लिए आवेदन किया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्तब्ध था कि देश के लिए इतना सब कुछ हासिल करने के बावजूद मेरा नाम सूची में नहीं था। मुझे लगता है कि जिस व्यक्ति के नाम की सिफारिश की गई उसके नाम टीम स्पर्धा में कोई अंतरराष्ट्रीय पदक है लेकिन एशियाई, राष्ट्रमंडल खेलों में पदक नहीं है।’’

अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ (ISSF) की वेबसाइट पर मनोज के परिचय के अनुसार उन्होंने 2005 में चार विश्व कप और एशियाई चैंपियनशिप में हिस्सा लिया लेकिन कोई पदक नहीं जीता।विजय ने कहा, ‘‘मुझे पद्म श्री, खेल रत्न (देश का सर्वोच्च खेल सम्मान) और अर्जुन पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।’’

विजय से जब यह पूछा गया कि क्या इस शीर्ष पद के लिए विशेषज्ञों की छंटनी करने के लिए किसी पैनल का गठन किया गया था तो उन्होंने कहा कि सिर्फ ऑनलाइन आवेदन देना था।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे मेरे ईमेल पर कोई जवाब या पावती नहीं मिली, कोई पुष्टि नहीं की गई। मुझे लगता है कि किसी को भी पुष्टि वाला ईमेल नहीं मिला। आवेदन किसी मिस्टर माधव को भेजा जाना था जो साइ कोचिंग प्रकोष्ठ के प्रभारी हैं। ’’

पांच हाई परफोर्मेंस कोच की नियुक्ति की अनुशंसा करने वाले पत्र पर वनावे माधव पोपट के हस्ताक्षर हैं जो साइ के कोचिंग विभाग में सहायक निदेशक (कोचिंग) हैं।

विजय ने कहा, ‘‘मैं अपना विरोध दर्ज कराऊंगा। मैं एक सीनियर महिला निशानेबाजी कोच और साइ की कर्मचारी से पूछता था और वह मुझे आश्वासन देती रही कि साक्षात्कार एक या दो महीने में होंगे। इसके बाद अचानक यह अधिसूचना आ गई। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं साइ के महानिदेशक (संदीप प्रधान) और खेल मंत्री (अनुराग ठाकुर) को पत्र लिखूंगा। उच्च अधिकारियों की जानकारी में यह बात दिलाई जानी चाहिए कि एक औसत से कमतर व्यक्ति जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ हासिल नहीं किया है, पद के लिए उसके नाम की सिफारिश की गई है। बताइए मैं कौन सी पात्रता पूरी नहीं करता।’’

प्रधान ने इस मामले में फोन या एसएमएस पर प्रतिक्रिया नहीं दी जबकि साइ के उप महानिदेशक शिव शर्मा ने कहा कि इस मुद्दे पर बात करने के लिए वह ‘सही व्यक्ति नहीं’ हैं।

साइ की अधिकारी और निशानेबाजी कोच ने पीटीआई को पुष्टि की कि मनोज ने हाई परफोर्मेंस कोच के पद के लिए आवेदन किया था।

कोच ने कहा, ‘‘उसे (मनोज को) वायुसेना टीम के साथ कोचिंग का 10 से 15 साल का अनुभव है। वह अभी राइफल कोच के रूप में राष्ट्रीय टीम से जुड़ा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विजय को लगता है कि सिर्फ ओलंपियन ही हाई परफोर्मेंस कोच बन सकता है। लेकिन कोई ऐसा भी है जो पिछले 10 से 15 साल से प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ कोचिंग कर रहा है। मैं विजय से सवाल करना चाहती हूं कि उसने कितने खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी है। उसका कोचिंग का अनुभव क्या है। मैं सहमत हूं कि वह ओलंपियन निशानेबाज है लेकिन यह कोच के पद के लिए है, निशानेबाज के लिए नहीं।’’(भाषा)

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