राष्ट्रीय ओलंपिक महासंघ और इसके सदस्य इस उपलक्ष्य में पूरे विश्व भर में ओलंपिक दिवस मनाते हैं। ओलंपिक हॉकी में भारत के अद्भुत रिकार्ड को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। 1928 से 1956 का दौर भारतीय हॉकी का स्वर्णिम दौर रहा है जिसमें भारत ने लगातार छ: स्वर्ण जीते। इसके अलावा 1964 और 1980 में भी भारतीय हॉकी टीम ने दो स्वर्ण हासिल किए।
इस अवसर पर एचआई ने देशभर के अपने स्थाई सदस्यों में 1200 हॉकी स्टिकों का वितरण किया। इसमें असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल, झारखंड, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के हॉकी संघ शामिल हैं।
एचआई के महासचिव मोहम्मद मुश्ताक अहमद ने कहा "ओलंपिक दिवस होने के नाते विश्वभर के एथलीटों के लिए यह वर्ष विशेष महत्व रखता है। एचआई की तरफ से हम ओलंपिक की तैयारी में लगे भारत के सभी एथलीटों को शुभकामनाएं देते हैं। इसके साथ ही हम लोगों से भी अपील करते हैं कि वे बेहतर स्वास्थ्य के लिए खुद को खेलों में शामिल करें। हम सभी हॉकी इकाइयों को देश में हॉकी के उत्थान के प्रयास के लिए धन्यवाद देते हैं।
इस वर्ष का ओलंपिक इस मायने में भी विशेष है कि भारत की महिला टीम ने 36 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है। यह टीम की प्रतिबद्धता और जुनून का परिचायक है। ओलंपिक की 122वीं वर्षगांठ पर हॉकी इंडिया का मकसद जमीनी स्तर पर खेल का विकास करना और समाज में उचित स्थान दिलाने के अलावा सभी इकाइयों के बीच एकता को बनाए रखना है। (वार्ता)