अंजू बॉबी जॉर्ज ने किया चौंकाने वाला खुलासा, कहा- एक किडनी के सहारे देश के लिए जीते मेडल्‍स

सोमवार, 7 दिसंबर 2020 (19:38 IST)
कोच्चि। पेरिस में 2003 में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर भारतीय खेलों में इतिहास रचने वाली ओलंपियन अंजू बॉबी जॉर्ज ने सोमवार को कहा कि उन्होंने एक गुर्दे (किडनी) के सहारे शीर्ष स्तर पर सफलताएं हासिल कीं।
 
आईएएएफ विश्व एथलेटिक्स फाइनल्स (मोनाको 2005) की स्वर्ण पदक विजेता लंबी कूद की इस स्टार एथलीट ने कहा कि उन्हें यहां तक कि दर्द निवारक दवाइयों से भी एलर्जी थी और ऐसी तमाम बाधाओं के बावजूद वे सफलताएं हासिल कर पाईं।
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अंजू ने ट्वीट किया कि मानो या न मानो, मैं उन भाग्यशाली लोगों में शामिल हूं जो एक गुर्दे के सहारे विश्व में शीर्ष स्तर पर पहुंची। यहां तक कि मुझे दर्द निवारक दवाइयों से एलर्जी थी, दौड़ की शुरुआत करते समय मेरा आगे वाला पांव सही काम नहीं करता था। कई सीमाएं थी तब भी मैंने सफलताएं हासिल की। क्या हम इसे कोच का जादू या उनकी प्रतिभा कह सकते हैं। अपने पति रॉबर्ट बॉबी जॉर्ज से कोचिंग लेने के बाद अंजू का करियर नयी ऊंचाइयों पर पहुंचा।
 
उनके ट्वीट पर जवाब देते हुए केंद्रीय खेल मंत्री कीरेन रीजीजू ने कहा कि अंजू ने अपनी कड़ी मेहनत, धैर्य और प्रतिबद्धता से देश का मान बढ़ाया। उन्होंने कहा कि अंजू भारत का मान बढ़ाने के लिए यह आपकी कड़ी मेहनत, धैर्य और प्रतिबद्धता थी जिसमें समर्पित कोच और पूरी तकनीकी टीम का सहयोग भी रहा।
 
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने कहा कि आईएएएफ विश्व चैंपियनशिप (पेरिस 2003) में भारत की एकमात्र पदक विजेता, आईएएएफ विश्व एथलेटिक्स फाइनल्स (मोनाको 2005) की स्वर्ण पदक विजेता और अपने शानदार करियर के दौरान लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाली अंजू देश की सबसे प्रेरणादायी ट्रैक एवं फील्ड स्टार हैं।
 
वे ओलिंपिक खेल 2004 में छठे स्थान पर रही थीं। उन्होंने तब 6.83 मीटर कूद लगाई थी। अमेरिका की मरियन जोन्स को डोपिंग आरोपों के कारण अयोग्य घोषित किए जाने के बाद अंजू को 2007 में पांचवां स्थान दिया गया था। (भाषा)

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