पूजा ने कहा कि मैंने अपने कोच कृपाशंकर सर और कुलदीप सर से बहुत कुछ सीखा है। कृपा सर ने मुझे मूवमेंट, मोशन और कुश्ती की तकनीक सिखाई। मैंने उनसे जो सबसे अच्छी बात सीखी है, वह है कि किसी विरोधी की बॉडी लैंग्वेज को कैसे पढ़ा जाए। उन्होंने मेरे आत्मविश्वास में बहुत इजाफा किया है। तकनीकी रूप से निपुणता लाने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मैं उनका धन्यवाद अदा करती हूं।
25 वर्षीय पूजा के मुताबिक मैं इस वक्त लखनऊ में नेशनल कैंप में हूं। जब मेरे कोच ने कहा कि तेरा नाम 'अर्जुन पुरस्कार' के लिए नामांकित हो गया है तो मुझे बहुत खुशी हुई लेकिन मैं आधिकारिक रूप से आश्वस्त होना चाहती थी। ठीक 5 मिनट बाद मुझे बजरंग पूनिया की तरफ से बधाई संदेश मिला और साथ में उन्होंने अर्जुन अवॉर्डियों की पूरी सूची भेज दी। इसके बाद तो खुशी दोगुनी होना लाजमी थी।
पूजा ने अर्जुन पुरस्कार के लिए नामांकित होने के बाद भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह का आभार माना, जिन्होंने उनकी वापसी में बड़ी भूमिका अदा की क्योंकि वे घुटने की चोट के बाद वापस कुश्ती के मैट पर आई थीं। पूजा ने कहा कि उन्होंने मुझे में विश्वास भरा और मुझे प्रो. कुश्ती लीग के दूसरे सीजन में उतरने का मौका दिया।