पीवी सिंधु ने रजत जीत रचा इतिहास

शुक्रवार, 19 अगस्त 2016 (22:05 IST)
रियो डी जेनेरियो। भारत की शान पीवी सिंधू रियो ओलंपिक के महिला बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीतने का अपना सपना तो नहीं पूरा कर पाईं, लेकिन उन्होंने रजत पदक जीतकर शुक्रवार को एक नया इतिहास रच दिया।
सिंधु को फाइनल में दुनिया की नंबर एक स्पेन की कैरोलिना मारिन ने संघर्षपूर्ण मुकाबले में 19-21, 21-12, 21-15 से हराकर अपना पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीत लिया। 21 वर्षीय सिंधु 125 करोड़ भारतीयों की उम्मीदों के साथ इस मुकाबले में उतरीं और उन्होंने पहला गेम भी जीता, लेकिन विश्व चैंपियन मारिन ने शानदार वापसी करते हुए अगले दो गेम जीतकर 1 घंटे 19 मिनट में यह मुकाबला समाप्त किया।
 
सिंधु इस तरह बैडमिंटन में पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय खिलाड़ी और ओलंपिक में पदक जीतने वाली पांचवीं भारतीय महिला खिलाड़ी बन गईं। साइना नेहवाल ने पिछले लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था।
 
सिंधु ने इस तरह रियो ओलंपिक में भारत को दूसरा पदक दिलाया। महिला पहलवान साक्षी मलिक ने इससे पहले कांस्य पदक जीता था। सिंधु इसी के साथ सबसे कम उम्र में पदक जीतने वाली भारतीय खिलाड़ी भी बन गईं। 
 
सिंधु ने कमाल का खेल दिखाया और अपने जीवन का सबसे रोमांचक और महत्वपूर्ण मुकाबला खेला लेकिन मारिन ने तमाम अनुभव झोंकते हुए सिंधु को स्वर्ण पदक कब्जाने से थाम लिया, मारिन ने जैसे ही स्वर्ण पदक मुकाबला जीता, वे कोर्ट पर बैठ गईं और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। सिंधु गजब की खेल भावना दिखाते हुए उनके पास गईं और उन्हें गले से लगा लिया।
 
सिंधु ने पदक वितरण समारोह के बाद तिरंगा हाथों में थामा और स्टेडियम में मौजूद भारतीय समर्थकों का अभिवादन स्वीकार किया। यह भी भारतीय खेलों के लिये एक अभूतपूर्व क्षण था, जो हमेशा के लिए भारतीय खेल इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया।
 
विश्व चैंपियनशिप की पूर्व कांस्य पदक विजेता सिंधु ने पहला गेम 27 मिनट में जीता और इस गेम की हार ने मारिन के आत्मविश्वास को कुछ कम किया, लेकिन मारिन ने फिर गजब की वापसी की और अगले दोनों गेम शानदार अंदाज में जीत लिए। 
 
मारिन ने दूसरा गेम 21-12 से और तीसरा तथा निर्णायक गेम 21-15 से जीता। सिंधु ने पहला गेम 27 मिनट में जीता लेकिन अगले दोनों गेम 22 और 31 मिनट में गंवा दिए। सिंधु ने पहले गेम में शानदार शुरुआत की लेकिन मारिन ने देखते ही देखते 11-6 की बढ़त बना ली। इसके बाद 10-14, 12-15, 15-17 और 17-19 से पिछड़ने के बाद सिंधु ने कमाल की वापसी की और 19-19 की बराबरी हासिल की। 
 
सिंधु ने इसके बाद लगातार दो अंक लेकर 21-19 पर गेम समाप्त कर दिया।  21 वर्षीय सिंधु के पहला गेम जीतने से कोर्ट में बैठे भारतीय प्रशंसकों के चेहरे पर खुशियां साफ झलकने लगीं। पहली बार ओलंपिक में उतरीं सिंधु ने इस गेम में कुछ गलतियां कीं और उनका एक रेफरल भी खराब हो गया लेकिन गेम जीतने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा।
 
दूसरे गेम में मारिन ने अपनी रणनीति बदली और सिंधू पर दबाव बनाना शुरू किया। उन्होंने सिंधू को गलतियां करने के लिये मजबूर किया। यही वजह रही कि मारिन ने दूसरा गेम 22 मिनट में 21-12 से निपटा दिया।
 
मारिन ने दूसरे गेम में शुरुआती चार अंक लेकर साफ कर दिया कि वह वापसी करने के इरादों से उतरी हैं। उन्होंने देखते ही देखते 11-4 की बढ़त बना ली और फिर 12-5, 17-9 तथा 20-12 से बढ़त बनाते हुये 21-12 पर मुकाबला समाप्त कर दिया। उन्होंने जिस अंदाज में यह गेम जीता, उसने जता दिया कि वह विश्व की नंबर वन खिलाड़ी हैं।
 
मारिन ने तीसरे गेम में अपने स्तर को बनाये रखा और 6-2, 9-4 की बढ़त बना ली लेकिन सिंधु ने वापसी करते हुए स्कोर 10-10 से बराबर किया। मारिन ने इसके बाद लगातार चार अंक लेकर 14-10 की बढ़त बनाई और इस बढ़त को मजबूत रखते हुए 21-15 पर गेम समाप्त कर स्वर्ण पदक जीत लिया।  
 
इससे पहले चीन की ली जुईरुई के कांस्य पदक मुकाबले से हटने के बाद जापान की बैडमिंटन खिलाड़ी नोजोमी ओकूहारा को कांस्य पदक मिल गया। ओकूहारा सेमीफाइनल मुकाबले में सिंधु से 19-21, 10-21 से हार गई थीं, वहीं गत चैंपियन जुरुरुई को नंबर एक और विश्व चैंपियन स्पेन की कैरोलिना मारिन से 14-21, 16-21 से हार का सामना करना पड़ा था।
 
जुईरूई को कांस्य पदक के लिए जापानी खिलाड़ी ओकूहारा से मुकाबला करना था, लेकिन चीनी खिलाड़ी ने ओकूहारा को वॉकओवर दे दिया और जापान के हिस्से में कांस्य पदक आ गया। जुईरूई के चोटिल होने से चीन को बैडमिंटन स्पर्धा में बहुत बड़ा धक्का लगा है। 
 
चीन ने लंदन ओलंपिक में बैडमिंटन में सभी पांच स्वर्ण पदक जीते थे, लेकिन यहां रियो ओलंपिक में अब तक उसे सिर्फ एक कांस्य पदक ही मिल पाया है। हालांकि उसके पास अभी पुरुष एकल स्पर्धा में मौका है, जहां चीन के चेन लोंग फाइनल में पहुंच चुके हैं। (वार्ता)

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