सिंधू और साइना को ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप में कठिन ड्रॉ मिलने की संभावना

बुधवार, 13 फ़रवरी 2019 (15:00 IST)
बर्मिंघम। पी वी सिंधू और साइना नेहवाल समेत भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों को ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप में कठिन ड्रॉ मिला है जिससे 18 साल बाद यहां खिताब जीतने का सपना पूरा करने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी। 
 

ओलंपिक और विश्व चैम्पियनशिप रजत पदक विजेता सिंधू पिछले साल सेमीफाइनल तक पहुंची थी। वह दक्षिण कोरिया की सुंग जि ह्यून से पहला मैच खेलेगी जबकि इंडोनेशिया मास्टर्स चैम्पियन साइना का सामना स्काटलैंड की क्रिस्टी गिलमोर से होगा। 
 
साइना और सिंधू यहां सीनियर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप खेलकर सीधे बर्मिंघम जाएंगी जहां छह मार्च से ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप शुरू होगी। सिंधू को पिछले साल हॉगकॉग ओपन में ह्यून ने हराया था। उसे हराने पर क्वार्टर फाइनल में उसका सामना तीसरी वरीयता प्राप्त चेन युफेइ से हो सकता है। दुनिया की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी साइना 2015 में ऑल इंग्लैंड फाइनल में पहुंची थी। इस साल वह मलेशिया मास्टर्स सेमीफाइनल में पहुंची और इंडोनेशिया में खिताब जीता। 
लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साइना का सामना क्वार्टर फाइनल में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी चीनी ताइपै की ताइ झू यिंग से हो सकता है जिसके खिलाफ वह पिछले 11 मैच हार चुकी है। 
 
तीन बार की विश्व चैम्पियन कैरोलिना मारिन घुटने की चोट के कारण चैम्पियनिशप नहीं खेल रही है। पुरुष एकल में किदाम्बी श्रीकांत का सामना पहले दौर में फ्रांस के ब्राइस लीवरदेज से होगा।

क्वार्टर फाइनल में उनकी टक्कर केंतो मोमोता से हो सकती है जिससे वह पिछले सत्र में पांच बार हार चुके हैं।  विश्व टूर फाइनल्स के सेमीफाइनल में पहुंचे समीर वर्मा का सामना पहले दौर में दुनिया के पूर्व नंबर एक खिलाड़ी डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसन से होगा। बी साइ प्रणीत और एच एस प्रणय एक दूसरे से खेलेंगे।

 
 
महिला युगल में अश्विनी पोनप्पा और एन सिक्की रेड्डी की टक्कर सातवीं वरीयता प्राप्त जापान की शिहो तनाका और कोहारू योनेमोतो से होगी। वहीं मेघना जे और पूर्विषा एस राम का सामना रूस की एकातेरिना बोलोतोवा और एलिना डी से होगा। 
 
पुरुष युगल में राष्ट्रीय चैम्पियन मनु अत्री और बी सुमीत रेड्डी का सामना चीन के यू शुआंई और रेन शियांग्यु से होगा। भारत ने आखिरी बार 2001 में ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप जीती थी जब मौजूदा राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने खिताब अपने नाम किया था। प्रकाश पादुकोण ने 1980 में पहली बार यह खिताब जीता था। (भाषा)

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