सिंधू को रविवार को ग्लास्गो के एमिरेट्स एरीना में रोमांचक मैराथन फाइनल में जापान की नोजोमी ओकुहारा से 19-21, 22-20, 20-22 से हार का मुंह देखना पड़ा जो एक घंटे 50 मिनट तक चला। सिंधू विश्व चैम्पियनशिप के 2013 और 2014 चरण में कांस्य पदक जीत चुकी है। उन्होंने घर लौटने के बाद कहा, फाइनल मैच के बाद, मैं काफी निराश थी लेकिन मैंने सोचा ‘कोई बात नहीं’। मैंने सोचा कि अब यह खत्म हो चुका है, अगले दिन से सब सामान्य हो गया।
उन्होंने कहा, रियो ओलंपिक के बाद यह सर्वश्रेष्ठ मुकाबलों में से एक रहा। विश्व चैम्पियनशिप कुछ अलग होती है। मैंने पहले भी इसमें कांसा जीता था। मैं खुश हूं कि मैंने इसका रंग बदलकर रजत कर दिया। विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल की बात करते हुए ओलंपिक रजत पदकधारी ने कहा, यह मानसिक और शारीरिक रूप से थका देने वाला था। आपको लगता है कि आपको एक अंक लेना ही पड़ेगा, वह (नोजोमी ओकुहारा) भी थकी हुई थीं, लेकिन यह मेरा दिन नहीं था।
यह पूछने पर कि क्या लंबे समय तक होने वाले मुकाबलों का चलन अब बैडमिंटन में शुरू हो गया तो उन्होंने भी सकारात्मक जवाब दिया। उन्होंने कहा, निश्चित रूप से, यह अब इतना आसान नहीं होना वाला। हमें प्रत्येक अंक के लिए जूझना होगा। मैच में कुछ भी हो सकता है। एक सवाल के जवाब में सिंधू ने कहा कि यह सुनकर अच्छा लगता है कि लोग उनसे प्रेरणा लेते हैं और कई जानी मानी हस्तियों ने सोशल मीडिया पर उन्हें शुभकामनाएं दीं।
मुख्य राष्ट्रीय कोच पी गोपीचंद ने सिंधू और साइना नेहवाल के पदक जीतने पर खुशी जाहिर की और कहा कि पुरुष खिलाड़ियों के. श्रीकांत और बी. साई प्रणीत ने विश्व चैम्पियनशिप में अच्छा प्रदर्शन दिखाया। गोपीचंद ने यह भी उम्मीद जताई कि सिंधू इतनी कम उम्र में दो बड़े पदक जीतने के बाद अपनी अच्छा फार्म जारी रखेंगी।
उन्होंने कहा, 22 साल की उम्र में उन्होंने बड़े पदक जीत लिए हैं, उम्मीद है कि यह फार्म जारी रहेगी। गोपीचंद ने कहा कि बैडमिंटन में अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रधानमंत्री समेत सरकार के शीर्ष स्तर के लोगों से शुभकामनाएं मिलना अच्छा था। (भाषा)