File photo : Ajay Rastogi
क्यू स्पोर्ट्स अर्थात बिलियर्ड्स-स्नूकर। ऐसा खेल जो कभी रईस ही खेला करते थे। वर्तमान में ऐसा नहीं है जिसे खेल के प्रति लगाव हैं वो खेल सकता है। विशेष रुप से बिलियर्ड खेल विश्व स्तर पर दो फॉर्मेट में खेला जाता है। टाइम फॉरमैट तथा पॉइंट फॉर्मेट। अर्थात अंकों की बंदी एवं समय की बाध्यता। आज विशेष रूप से इसकी चर्चा इसलिए क्योंकि लगभग 2 दशकों से राष्ट्रीय स्तर पर इस खेल के मुख्य निर्णायक अजय रस्तोगी सेवानिवृत्ति से 2 वर्ष पूर्व ही कोरोना से परास्त हो गए।
ऐसा कहते हैं कि समय बड़ा बलवान होता है और इसी के समक्ष अजय ऐसा फाउल कर बैठे जिसकी पूर्ति कोई भी नहीं कर सकता। आखिर सवाल उठता है कि कौन है यह अजय? रेलवे विभाग में कार्यालय अधीक्षक के रूप में कार्यरत अजय भी इस खेल के उम्दा खिलाड़ी रहे लेकिन बाद में उन्होंने रैफरी के रूप में इसे अपना लिया। भले ही वे रेलवे में कार्यरत थे लेकिन रेलयात्रा से ज्यादा हवाईयात्रा इसका प्रिय शगल था।
राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि कई अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में निर्णायक के रूप में इसकी शिरकत देश का गौरव रही। दो दशक से ज्यादा समय हो गया अजय से मिलते हुए। पहली बार जब वे इस खेल की राष्ट्रीय स्पर्धा के लिए इंदौर आए थे तो मेरे बालमित्र तथा मध्यप्रदेश बिलियर्ड्स स्नूकर एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष विश्वेश पुराणिक ने परिचय करवाया था।
ईश्वर ही जाने की अजय को उम्दा स्कॉच, क्यू स्पोर्ट्स या फिर रजनीगंधा में से क्या अधिक पसंद था? शायद तीनों ही उनके प्रिय शगल थे और उनकी कमी को झेलना इस खेल की नियति। मध्यप्रदेश के मुख्य निर्णायक सुजीत गेहलोत बताते हैं कि अजय सर इतने मस्त मौला थे की मैच के पश्चात शाम को सहायक निर्णायक, मार्कर या फिर स्कोरर के साथ उन्हें बैठने में कभी परहेज नहीं था। यह संभव नहीं है लेकिन ऐसा लगता है कि अजय कभी भी आवाज देंगे की आ जा बैठते हैं...