ठंड के मौसम में दिखा 8 साल के रुद्राक्ष परमार का स्वीमिंग 'जुनून'

जनवरी महीने की सर्द सुबह में जब लोग रजाईयों में दुबके पड़े रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ 8 साल का रुद्राक्ष परमार है, जो अपने पिता के साथ नेहरुपार्क स्थित स्वीमिंगपूल में गोते लगाता रहता है। उसे न तो ठंडे पानी की चिंता रहती है और न ही ठंड की...यह उसका जुनून ही है कि उसे पानी की तरफ खींचता चला जाता है। स्वीमिंगपूल में सुबह तैरने वाले कई लोग दांतों तले अंगुली तबा लेते हैं, जब वे नन्हें रुद्राक्ष को 15 फीट में तैराकी करते देखते हैं...
असल में जेम्स इंटरनेशनल स्कूल में दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले रुद्राक्ष ने 3 साल की उम्र में ही तैराकी सीख ली थी और जब 6 साल का था, तब अपनी बड़ी बहन साक्षी से प्रेरित होकर उसने नियमित रूप से स्वीमिंगपूल आना शुरु किया। पिता अनिल परमार का विजय नगर में वेस्टर्न टायर अलायमेंट सेंटर है और वे भी अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग रहते हैं। 
तीन बेटियों और एक बेटे के पिता अनिल परमार बताते हैं कि मैंने बच्चों को उनकी रुचि के अनुरूप ही उन्हें आगे बढ़ने में मदद की है। मेरे पूरे परिवार को तैराकी का शौक रहा है। मेरे माता-पिता भी तैराक रहे हैं और मैं भी नेहरूपार्क स्वीमिंगपूल का आजीवन सदस्य हूं। मेरी बहन सपना भी महिला क्रिकेट में राष्ट्रीय स्तर तक खेली हैं। यही नहीं, मेरे चारों ही बच्चों को स्वीमिंग आती है। मेरे दो बच्चे तो खेल में करियर बनाना चाहते हैं जबकि दो बेटियां एकेडमिक क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती हैं। 
 
अनिल के अनुसार साक्षी और रुद्राक्ष को तैराकी का शौक बचपन से था, यही कारण है कि वे दोनों मेरे साथ स्वीमिंगपूल आने लगे। साक्षी को नेहरुपार्क में कोच घनश्याम सिंह हाड़ा का मार्गदर्शन मिला और उसने अपने गुरु का मान भी बढ़ाया... 
'स्टेट स्वीमिंग एकेडमी' में साक्षी परमार 
गत वर्ष साक्षी का चयन भोपाल स्थित मध्यप्रदेश शासन की 'स्टेट स्वीमिंग एकेडमी' में हुआ। इंदौर से 40-50 बाल तैराक एकेडमी के चयन के लिए गए थे लेकिन चयनित हो पाए केवल 4-5 बच्चे ही..। इस एकेडमी में प्रदेशभर से चुनिंदा 30 बच्चों  (15 लड़के 15 लड़कियां) का चयन किया गया है, जिन्हें 2020 के ओलंपिक खेलों के मद्देनजर तैयार किया जा रहा है। इस एकेडमी के कोच हैं मैथ्यू। 
 
इंटरनेशनल लेवल तक गए मैथ्यू की देखरेख में मध्यप्रदेश के 30 तैराक ओलंपिक में पदक जीतने का सपना लेकर जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। इन बच्चों को सुबह 4 बजे जगा दिया जाता है। 7 बजे तक सभी बच्चे तैराकी की प्रेक्टिस करते हैं जबकि 7.30 से वे एकेडमी के भीतर ही स्कूल में पढ़ाई करते हैं। दिन में केवल 2 घंटे का आराम रहता है जबकि शाम 5 से 8 बजे तक फिर से तैराकी का अभ्यास चलता रहता है। जिस तरह की कोचिंग दी जा रही है, उम्मीद की जानी चाहिए कि 2020 के ओलंपिक खेलों में भारत तैराकी में खाली हाथ नहीं रहेगा...
 
अनिल परमार ने कहा कि फिल्म 'दंगल' में जैसे गीता फोगट के पिता महावीर का सपना बेटी द्वारा गोल्ड मैडल दिलाने का दिखाया गया है, ठीक उसी तरह मैं भी चाहता हूं कि मेरी बेटी मैथ्यू सर की देखरेख में कुछ ऐसा कमाल दिखाए, जिस पर पूरे देश को फख्र हो। मैं भी अपनी बच्ची के गले में सोने का तमगा देखना चाहता हूं। 
 
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जहां तक रुद्राक्ष का सवाल है तो वह अभी बहुत छोटा है लेकिन उसमें तैराकी का जुनून है। यदि जुनून नहीं रहता तो वह इस ठंड भरे मौसम में स्वीमिंग नहीं करता। वह हमेशा अपनी बड़ी बहन के करीब रहा है और अब जबकि वो एकेडमी में चली गई है, लिहाजा, उसका भी सपना है कि मैं भी एक दिन स्टेट एकेडमी में चयनित हूं ताकि अपनी बहन के प्यार-दुलार को पा सकूं...

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