भारतीय कोच के बिना हॉकी का प्रदर्शन ठीक नहीं होगा : सुरिंदर सोढ़ी

रविवार, 24 जुलाई 2016 (20:56 IST)
जालंधर। ब्राजील के रियो में होने वाले ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जताते हुए पूर्व ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता सुरिंदर सोढ़ी ने कहा कि हॉकी टीम के लिए जब तक भारतीय कोच नियुक्त नहीं किया जाता है, तब तक इस खेल की दशा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं सुधरेगी क्योंकि विदेशी कोच यहां केवल पैसा कमाने आते हैं और उन्हें यहां की हॉकी से कोई मतलब नहीं है।
वर्ष 1980 की ओलंपिक स्वर्ण विजेता टीम के सदस्य रहे सोढ़ी ने कहा, 1980 के बाद से ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। हाल के दशक में तो इतना खराब रहा कि आठ बार की स्वर्ण पदक विजेता टीम ओलंपिक के लिए एक बार तो क्वालिफाई भी नहीं कर सकी। 
 
विदेशी कोच का शुरू से विरोध कर रहे सोढ़ी ने कहा, हालांकि हॉकी का प्रदर्शन पिछले कुछ समय में सुधरा है लेकिन फिर भी मेरा मानना है कि हॉकी टीम के लिए भारतीय कोच ही होना चाहिए ताकि ओलंपिक और विश्वकप जैसे टूर्नामेंट में टीम के प्रदर्शन में सुधार हो और हम टूर्नामेंट में जीत हासिल कर सकने में सक्षम हों। 
 
उन्होंने कहा भारत और विदेशों में हॉकी खेलने की शैली में बड़ा अंतर है। इस कारण खिलाड़ियों और कोच के बीच लगातार भ्रम की स्थित बनी रहती है। भाषा भी बड़ा अंतर है और इस कारण खिलाड़ी और कोच के बीच संवादहीनता की स्थिति बनी रहती है। 
 
अर्जुन पुरस्कार विजेता पूर्व कप्तान सोढ़ी ने कहा, क्रिकेट की तर्ज पर हॉकी में भी देसी कोच नियुक्त किए जाने चाहिए और जो पैसा विदेशी कोच पर खर्च किया जा रहा है वही पैसा अगर भारतीय कोच को दिया जाए तो हॉकी का प्रदर्शन और बेहतर हो सकता है। यहां की हॉकी की शैली के बारे में देसी कोच को बेहतर जानकारी होगी और भाषा की भी समस्या नहीं होगी जिससे ग्रामीण क्षेत्र के खिलाड़ी भी कोच के साथ आसानी से संवाद स्थापित कर सकेंगे। 
 
अपनी कप्तानी में टीम को चैंपियंस ट्रॉफी में तीसरा स्थान दिलाने वाले सोढ़ी ने कहा, चैंपियंस ट्रॉफी में भारत ने शानदार प्रदर्शन किया है और उम्मीद है कि ओलंपिक में भी प्रदर्शन बेहतर होगा लेकिन भारतीय कोच होता तो हम उम्मीद नहीं जताते, दावे के साथ कह सकते थे कि ओलंपिक में टीम का शानदार प्रदर्शन होगा।
 
पेनल्टी कार्नर विशेषज्ञ रहे सोढ़ी ने कहा, मौजूदा टीम और उसका प्रदर्शन बेहतर रहा है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि चैंपियंस ट्रॉफी में टीम पांच में से केवल दो मैच जीत सकी थी और दो में हार का समना करना पड़ा था। ऑस्ट्रेलिया के जहां 13 अंक थे वहीं भारत के केवल सात अंक थे। उन्होंने कहा कि तालमेल का अभाव और पेनल्टी कार्नर में विविधता का अभाव अब भी है, जिससे गंभीरता से सुधारने की जरूरत है।
 
इसके साथ ही सोढ़ी ने यह भी कहा कि बार-बार कप्तान नहीं बदला जाना चाहिए। ठीक है कि श्रीजेश ने बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन सरदार को आराम देने के लिए उन्हें कप्तान बनाया गया था इसलिए ओलंपिक में सरदार को ही कप्तान बनाया जाना चाहिए था। (भाषा) 

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