सरिता देवी का मामला ओसीए के पास पहुंचा

गुरुवार, 2 अक्टूबर 2014 (12:23 IST)
इंचियोन। एशियाई खेलों की आयोजन समिति ने कहा कि भारतीय मुक्केबाज एल सरिता देवी का पदक वितरण समारोह के दौरान अपना कांस्य पदक स्वीकार करने से इनकार करना ‘खेदजनक और खेल भावना के खिलाफ है’ और यह मामला अब एशियाई ओलंपिक परिषद के पास पहुंच गया है।
 
खेलों की आयोजन समिति के उप महासचिव चियो ताइक सोन ने गुरुवार सुबह संवाददाताओं से कहा, 'भारतीय मुक्केबाज एल सरिता देवी का पदक स्वीकार करने से इनकार करना खेदजनक और खेल भावना के खिलाफ है। यह मामला एशियाई ओलंपिक परिषद के कार्यसमूह के पास भेज दिया गया है जो अब इस मुद्दे पर फैसला करेगा।'
 
लाइटवेट महिला मुक्केबाज सरिता ने 30 सितंबर को अपने सेमीफाइनल मुकाबले में दक्षिण कोरिया की विरोधी जिना पार्क पर दबदबा बनाया हुआ था लेकिन जजों के खराब फैसले के बाद उन्हें हारा हुआ करार दिया गया और वह स्वर्ण पदक के मुकाबले में जगह नहीं बना सकी। उन्होंने पदक वितरण समारोह के दौरान अधिकारियों को पदक गले में नहीं पहनाने दिया।
 
सरिता ने हाथ में पदक स्वीकार करने के बाद इसे रजत पदक विजेता पार्क के गले में लपेट दिया और बिना पदक के ही चली गई। कोरियाई खिलाड़ी ने भी बाद में पदक को वहीं छोड़ दिया।
 
सोन ने कहा, 'ओसीए का कार्यसमूह इस मामले पर फैसला करेगा और यह खिलाड़ी पर भी निर्भर करता है।' उन्होंने कहा कि यह काफी खेदजनक है कि ऐसा हुआ और यह एशियाई एकजुटता के लक्ष्य के खिलाफ है जो हमने खेलों से पहले अपने लिए तय किया था। यह साथ ही खेल भावना के खिलाफ है और यह हरकत अन्य खिलाड़ियों के अपमान को भी दर्शाती है। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण घटना है।
 
सोन ने कहा कि हमने सुनिश्चित किया है कि इन खेलों में घरेलू फायदे जैसी कुछ चीज नहीं हो। दर्शकों को मुक्केबाज के चेहरे पर खून दिख सकता है लेकिन यह मुक्के पर स्कोर देने के जजों की गणना से अलग हो सकता है।
 
उन्होंने कहा, 'मुक्केबाजी में काफी विरोध किया गया लेकिन कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं हुई। हमने एआईबीए को लिखा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह उस मैच में हुआ जिसमें कोरियाई खिलाड़ी शामिल था।'
 
पता चला है कि ओसीए इस घटना से काफी नाखुश है और कार्यसमूह की बैठक के बाद खेलों के भारतीय दल प्रमुख आदिले सुमारिवाला को कड़े शब्दों को लिखा पत्र दिया जा सकता है।
 
सरिता ने फैसले को अपने प्रति अन्याय बताते हुए विरोध किया था जब मुक्केबाजी कोच जीएस संधू ने भी लिखित विरोध दर्ज कराया था जिसे मुक्केबाजी अधिकारियों ने खारिज कर दिया। हैरानी भरा हालांकि यह रहा कि भारतीय ओलंपिक संघ या भारतीय दल ने इस मामले में कुछ नहीं कहा। सोन ने संकेत दिए कि उन्हें आईओए के विरोध दर्ज कराने की उम्मीद है।
 
उन्होंने कहा, 'मुझे लगा है कि आईओए विरोध दर्ज कराएगा।' सुमारिवाला ने हालांकि इससे इनकार किया और कहा कि उनकी मुख्य चिंता यह है कि सरिता देवी और जजों के खिलाफ विरोध पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले संधू पर आजीवन प्रतिबंध नहीं लगे। 'मेरी प्राथमिकता है कि सरिता और कोच पर आजीवन प्रतिबंध नहीं लगे।' (भाषा)

वेबदुनिया पर पढ़ें