6 जून को होगा सुशील-नरसिंह दंगल का फैसला

गुरुवार, 2 जून 2016 (21:33 IST)
नई दिल्ली। दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार की ओलंपिक कोटा हासिल कर चुके नरसिंह यादव के साथ ट्रायल कराने की याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय देश के बहुचर्चित मामले पर छह जून को फैसला सुनाएगा।
     
   
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुशील की तरफ से पेश वकील अमित सिब्बल ने गुरूवार को अपनी बहस पूरी कर ली। अब इस मामले पर छह जून को फैसला आए गा। सुशील की ओर से इस मामले में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिब्बल ने अदालत के सामने सरकार और भारतीय खेल प्राधिकरण के वे सभी आर्डर रखे, जिसमें सुशील को कैंप में शामिल होने और जार्जिया में ट्रेनिंग करने के लिए कहा गया था। सिब्बल ने सुशील का तर्क रखा कि यदि उन्हें रियो के लिए नहीं ले जाना था तो उन्हें पहले ही मना कर दिया जाना चाहिए  था। वरना वह इतनी कड़ी तैयारी क्यों करते।
         
भारतीय कुश्ती महासंघ का इस मामले में लगातार एक ही रूख रहा है कि जिस पहलवान ने ओलंपिक कोटा जीता है वही रियो जाएगा। इस बात को फेडरेशन की तरफ से पेश वकील ने भी अदालत में बार बार दाेहराया जबकि सुशील का कहना है कि उन्हें सरकार ने ओलंपिक तैयारी के लिए ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप) में रखा था न कि किसी एशियाई टूर्नामेंट की तैयारी के लिए।
          
सिब्बल ने यह भी बताया कि सुशील ने जार्जिया से लौटने के बाद खेल मंत्री और फेडरेशन को पत्र दिया था कि वह पूरी तरह फिट हैं और ट्रायल के लिए  तैयार हैं। सुशील का कहना है कि यदि उनका ट्रायल नहीं कराना था तो उन्हें पहले ही मना कर दिया जाना चाहिए था। उन्हें विदेश में ट्रेनिंग के लिए  भेजने का फैसला फेडरेशन का था। 
         
फेडरेशन और नरसिंह की तरफ से पेश वकील ने मौखिक रूप से बताया कि रियो के लिए जो 18 पहलवानों की सूची गई है, उनमें से पांच छह को नरसिंह हरा चुके है जबकि सिब्बल ने इस पर कहा कि नाम भेजने की आखिरी तारीख 18 जुलाई है। दूसरे देशों में अभी ट्रायल चल रहे हैं। जब अंतिम सूची तैयार नहीं हुई है तो यह कैसे पता लग गया कि नरसिंह ने किन पहलवानों को हरा दिया है।
        
कुश्ती महासंघ के वकील ने आरोप लगाया कि सुशील ने जार्जिया में भारतीय टीम से अलग रहकर ट्रेनिंग कर धन का दुरूपयोग किया है, इस पर सुशील का कहना था कि यदि मुझे भारतीय पहलवानों के साथ प्रशिक्षण करना होता तो मैं यह भारत में भी कर सकता था। मुझे जार्जिया के बेहतर पहलवानों के साथ ट्रेनिंग करनी थी।
         
नरसिंह ने 74 किग्रा वर्ग में ओलंपिक कोटा हासिल किया है जबकि सुशील चोट के कारण विश्व चैंपियनशिप से पहले ट्रायल में हिस्सा नहीं ले पाए थे। इसके बाद उन्हें खुद को साबित करने का कोई मौका नहीं मिल पाया। सुशील इसी लिए नरसिंह के साथ ट्रायल की मांग कर रहे हैं ताकि सर्वश्रेष्ठ पहलवान ही रियो ओलंपिक जाए। इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में पांचवीं बार सुनवाई के बाद जाकर गुरूवार को बहस पूरी हो गई। अब अदालत छह जून को इस पर अपना फैसला सुनाएगी। (वार्ता) 

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