आत्मविश्वास से भरी भारतीय टीम का सामना घाना की कड़ी चुनौती से
बुधवार, 11 अक्टूबर 2017 (16:03 IST)
नई दिल्ली। भारतीय टीम के जज्बाती प्रदर्शन की चारों ओर प्रशंसा हो रही है और अब गुरुवार को यहां फीफा अंडर-17 विश्व कप के ग्रुप 'ए' के अंतिम मैच में पूर्व चैंपियन घाना के सामने फिर मेजबान खिलाड़ियों के जज्बे की परीक्षा होगी।
अमेरिका से शुरुआती मैच में मिली 0-3 की हार के बाद कोलंबिया के खिलाफ भारत से चुनौतीपूर्ण प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी लेकिन घरेलू टीम ने प्रेरणादायी प्रदर्शन करके दिखा दिया कि वह दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों के खिलाफ भी चुनौती पेश कर सकती है।
कोच लुई नोर्टन डि माटोस की डिफेंसिव रणनीति को उनके खिलाड़ियों ने कोलंबिया के खिलाफ बखूबी कार्यान्वित किया और टूर्नामेंट में पदार्पण कर रही टीम का भाग्य अगर साथ देता तो वह जीत भी दर्ज कर सकती थी।
कोलंबिया ने मैच में दबदबा बनाए रखा लेकिन डि माटोस ने बाद में माना कि अगर टीम पहले हॉफ में बढ़त ले लेती तो नतीजा कुछ अलग हो सकता था। अगर राहुल कैनोली ने पहले हॉफ के इंजुरी टाइम में गोल कर दिया होता तो ऐसा हो सकता था।
अब उम्मीदें भी बढ़ गई हैं तो डि माटोस और उनके खिलाड़ी यह साबित करना चाहेंगे कि कोलंबिया के खिलाफ उनका प्रदर्शन महज 'तुक्का' नहीं था और वे इस विश्व कप में प्रतिस्पर्धा के काबिल थे जिसमें उन्होंने मेजबान के तौर पर स्वत: क्वालीफाई किया।
लेकिन यह उनके लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि घाना ग्रुप में सबसे ज्यादा ताकतवर खिलाड़ियों वाली टीम है। इसमें कोई शक नहीं कि 2 बार की पूर्व चैंपियन घाना जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में होने वाले गुरुवार के मुकाबले में प्रबल दावेदार के रूप में शुरुआत करेगी।
अमेरिका ने पहले ही 2 मैच जीतकर ग्रुप 'ए' से अंतिम 16 में जगह बना ली है जबकि कोलंबिया और घाना के 3-3 अंक हैं। भारत को जीत भी नॉकआउट चरण में नहीं पहुंचा सकती।
अभी तक भारत ने कोई अंक हासिल नहीं किया है और 5 गोल गंवाए हैं और केवल 1 गोल किया है और उसका गोल अंतर माइनस 4 है, जो ग्रुप की सभी 4 टीमों से सबसे कम है। अगर 2 या ज्यादा टीमों के बराबर अंक होते हैं तो गोल अंतर से ग्रुप की रैंकिंग तय होगी।
माटोस हालांकि शुरू से कह रहे हैं कि टीम के पास ग्रुप के 3 मैचों में जीतने का मौका कम ही है इसलिए उन्हें डिफेंसिव रणनीति बनानी पड़ी और बीच में जवाबी हमलों पर ध्यान लगाना पड़ा। डि माटोस जानते हैं कि उनके खिलाड़ियों में टूर्नामेंट के अनुभव की कमी है।
वे अभी तक की रणनीति से खुश हैं और उन्होंने कहा कि टीम को हमले के पहलू पर काफी सुधार की जरूरत है। भारतीय टीम 4-4-1-1 की योजना से खेल रही है और उसने कोलंबिया के खिलाफ इसे अच्छी तरह कायम भी रखा।
घाना के खिलाफ भी उनके इसी रणनीति के साथ चलने की उम्मीद है। अगर भारतीय टीम कोलंबिया की तरह पहले हॉफ में बिना गोल खाए रहती है तो यह देखना दिलचस्प होगा कि वे गोल करने के लिए आक्रामकता बरतने के बारे में सोच-विचार करते हैं या नहीं?
गोलकीपर धीरज सिंह भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों में से एक हैं और उनसे ऐसा ही प्रदर्शन करने की उम्मीद होगी। अनवर अली ने भी भारतीय डिफेंस में नमित देशपांडे के साथ अच्छा खेल दिखाया है जिनसे भी यह आशा होगी।
अमेरिका और कोलंबिया के कोचों ने अनवर की तारीफों के पुल बांधे थे। वे बिना किसी परेशानी के मैच में पूरे 90 मिनट खेले। घाना ने कोलंबिया को हराया था लेकिन अमेरिका से टीम हार गई थी। अब टीम इस मैच में जीत से सीधे अंतिम 16 में प्रवेश करना चाहेगी। (भाषा)